इंदौर के भागीरथपुरा में दूषित पानी से 8 लोगों की मौत, मामला पहुंचा उच्च न्यायालय

इंदौर : मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के भागीरथपुरा इलाके में दूषित पानी से आठ लोगों की मौत का मामला उच्च न्यायालय पहुंच गया है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ में इस मामले में दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर आज सुनवाई होगी। इधर, मामले में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बड़ा एक्शन लेते हुए क्षेत्र के जोनल अधिकारी, सहायक यंत्री और प्रभारी सहायक यंत्री को निलंबित कर दिया है, साथ ही प्रभारी उप यंत्री को बर्खास्त किया गया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित जल आपूर्ति से नागरिकों के संक्रमित होने की घटना को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है। घटना में लापरवाही पाये जाने पर जोन क्रमांक–4 के जोनल अधिकारी शालिग्राम सितोले के साथ ही सहायक यंत्री एवं प्रभारी सहायक यंत्री को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। प्रभारी उपयंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग शुभम श्रीवास्तव को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। मामले की गहन जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की समिति भी गठित कर दी गई है। समिति आईएएस नवजीवन पंवार के निर्देशन में जांच करेगी। समिति में प्रदीप निगम, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शैलेश राय को भी शामिल किया गया है।

दरअसल, सोमवार रात यह मामला तब सामने आया, जब मंत्री कैलाश विजयवर्गीय अचानक दिल्ली से इंदौर पहुंचे और वर्मा हॉस्पिटल गए। इसके बाद पता चला कि 150 से ज्यादा लोग बीमार हो चुके हैं। मंगलवार को दिनभर में पांच मौतों की जानकारी मिली, जबकि देर रात तीन अन्य मौतों की सूचना सामने आई। इस तरह कुल 8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। मृतकों में नंदलाल पाल (75), उर्मिला यादव (69), उमा कोरी (31), मंजुला पति दिगंबर (74) और सीमा प्रजापत (50), गोमती रावत (50), उमा कोरी (31), संतोष बिगोलिया शामिल हैं।

इंदौर कलेक्टर शिवम वर्मा ने बताया कि फिलहाल 111 लोग अस्पताल में भर्ती हैं। जिला प्रशासन द्वारा सतत निगरानी रखी जा रही है। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद इंदौर प्रशासन और स्वास्थ्य अमला तत्परता के साथ उपचार में जुटा हुआ है। घटना के कारण पता करने के लिए विस्तृत जांच करवाई जा रही है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि तीन-चार दिन पहले भागीरथपुरा क्षेत्र में नर्मदा लाइन से जो पानी वितरित हुआ था उसमें केमिकल और पेट्रोल की बदबू आ रही थी। उन्होंने इसकी शिकायत भी की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। संभवत: इसी दूषित पानी को पीने से उनकी तबीयत बिगड़ी है। लोगों के बीमार पड़ने का सिलसिला रविवार रात से ही शुरू हो गया था। बुधवार को भी मरीजों के आने का सिलसिला जारी है।

भागीरथपुरा के वार्ड 11 में 7 हजार नर्मदा वॉटर लाइन के कनेशक्शन हैं। साल 1997 में बनी भागीरथपुरा पानी की टंकी से ही इलाके में पानी वितरित किया जाता है। यह टंकी नर्मदा फेज एक व दो की पाइप लाइन से भरी जाती है। यहां 9 सितंबर को पानी की टंकी की रामकी कंपनी के कर्मचारियों ने सफाई की थी। दूषित पानी से लोगों के बीमार होने की सूचना के बाद 28 दिसंबर को भी सफाई की गई। साल 2003 में टंकी के पास बनी पुलिस चौकी, उसके पास नर्मदा लाइन के ऊपर शौचालय बना दिया था। रहवासियों ने इलाके में गंदा पानी सप्लाई होने की शिकायत नगर निगम के अधिकारियों से की थी लेकिन इसको लेकर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिसकी वजह से यहां दूषित पानी सप्लाई होता रहा और आठ लोगों की मौत हो गई।

फिलहाल मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, कलेक्टर शिवम वर्मा, नगर निगम आयुक्त दिलीप यादव और सीएमएचओ डॉ. माधव हसानी लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। भागीरथपुरा क्षेत्र के सभी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वहां से आने वाले मरीजों से इलाज का कोई शुल्क न लिया जाए। मरीजों के इलाज का खर्च शासन वहन करेगा।

इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि जिस वाटर पाइप लाइन के काम का टेंडर सातवें महीने में लग गया था, उसमें आखिर विलंब क्यों हुआ, यह जांच का विषय है। भार्गव ने निगम आयुक्त को निर्देशित किया है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच कराई जाए, ताकि लापरवाही के कारणों का पता लगाया जा सके। दोषियों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

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