पाकिस्‍तान को अलग-थलग करने की कवायद शुरू….’ऐसी सजा मिलेगी कि सोच भी नहीं सकते’

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला सिर्फ एक आतंकी वारदात नहीं था, बल्कि यह भारत की संप्रभुता, आंतरिक सुरक्षा और सामरिक प्रतिष्ठा पर सीधा हमला था. इस हमले में जहां 26 निर्दोष नागरिक मारे गए, वहीं जिस तरह आतंकियों ने टूरिस्ट स्पॉट को निशाना बनाया — उससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि आखिर भारत इसका जवाब कैसे देगा? भारत की प्रतिक्रिया को लेकर देश ही नहीं, पूरी दुनिया की निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं.

पहलगाम आतंकी हमले की आलोचना तो पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह समेत तमाम सत्ता पक्ष और विपक्षी नेताओं ने की, लेकिन सरकार के‍ किसी बड़े मंत्री की तरफ से बुधवार तक कोई बड़ा बयान सामने नहीं आया. फिर आया गुरुवार जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में थे. हालांकि इसके लिए उनकी कुछ आलोचना भी हुई कि जब देश 26 मासूमों की हत्‍या का शोक मना रहा है तो उसी समय प्रधानमंत्री बिहार में अपनी राजनीति चमका रहे हैं. मधुबनी के मंच से जब पीएम मोदी ने अपना संबोधन शुरू किया तो उन्‍होंने पहलगाम का भी जिक्र किया जो कि स्‍वाभाविक ही था. लेकिन जब पीएम अचानक अंग्रेजी में बोलने लगे तो सभी को आश्‍चर्य हुआ कि आखिर बिहार की धरती पर पीएम मोदी को अंग्रेजी बोलने की जरूरत क्‍या थी. 

बिहार की धरती से दुनिया को संदेश

लेकिन भले ही मंच के सामने बिहार की जनता थी, पीएम मोदी को अपना संदेश पूरी दुनिया तक पहुंचाना था, और यही वजह थी कि उन्‍होंने बिहार से आतंकवाद को लेकर पूरी दुनिया को संदेश दे दिया. माना जा रहा है पीएम मोदी ने मंच से दुनिया को पहले ही समझा दिया है कि उन आतंकियों और उनके अकाओं के खिलाफ अब भारत जो करेगा, उसे आप सब देखेंगे. दुनिया भर के सामने इशारा साफ था कि यह किस देश की हरकत है और भारत कड़े कदम उठाने जा रहा है.

‘ऐसी सजा मिलेगी कि सोच भी नहीं सकते’

पहलगाम आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सख्त लहजे में कहा कि अब समय आ गया है जब आतंकवादियों की “बची-खुची जमीन को भी मिट्टी में मिला दिया जाए.” बिहार की रैली से दुनिया को संदेश देते हुए उन्होंने कहा, “भारत हमले के दोषियों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा देगा. हम धरती के आखिरी छोर तक उनका पीछा करेंगे.” प्रधानमंत्री ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए कहा, “जिन्होंने ये साजिश रची, उन्हें सजा जरूर मिलेगी.” यह पीएम का हमले के बाद पहला सार्वजनिक बयान था. 

पाकिस्‍तान को अलग-थलग करने की कवायद शुरू

उधर दूसरी ओर भारतीय विदेश मंत्रालय भी पाकिस्‍तान को वैश्‍विक मंचों पर अलग-थलग करने में जुट गया है. इसी कड़ी में विदेश मंत्रालय (MEA) ने जर्मनी, जापान, पोलैंड, ब्रिटेन और रूस समेत कई देशों के राजदूतों को तलब कर विस्तृत जानकारी साझा की. साउथ ब्लॉक स्थित MEA मुख्यालय में हुई इस उच्चस्तरीय बैठक में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने करीब 30 मिनट तक राजनयिकों को ब्रीफिंग दी. उन्हें बताया गया कि यह हमला सिर्फ भारत की आंतरिक सुरक्षा पर नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता पर भी खतरा है. विशेष रूप से चीन के राजदूत जू फेइहोंग को भी मंत्रालय ने बुलाकर गंभीरता से ब्रीफ किया. उन्हें हमले में शामिल संभावित आतंकी संगठनों, पाकिस्तान की संदिग्ध भूमिका और भारतीय एजेंसियों की कार्रवाई से जुड़ी तमाम जानकारियां दी गईं. MEA के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की उम्मीद कर रहा है और वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा.

भारत के लिए क्‍यों जरूरी था ऐसा करना

भारत का यह कदम इसलिए भी महत्‍वपूर्ण हो जाता है कि जब भी कोई बड़ी आतंकी वारदात होती है और भारत की तरफ से कड़ी कार्रवाई का अंदेशा होता है तो दुनिया में पाकिस्‍तान के कई रहबर मुल्‍क शांति का पाठ पढ़ाने में लग जाते हैं और बातचीत के जरिए मामले को सुलझाने की वकालत करने लगते हैं. इसलिए भारत ने पहले ही उन सबको अच्‍छे से बिठाकर समझा दिया है. 

दुनिया क्या देख रही है?

अमेरिका और फ्रांस जैसे देश भारत के साथ खड़े हैं, लेकिन वो संयम बरतने की भी सलाह देंगे. चीन, जो पाकिस्तान का रणनीतिक साझेदार है, स्थिति पर चुप रह सकता है या पाकिस्तान का समर्थन कर सकता है. रूस, जो भारत और पाकिस्तान दोनों का करीबी है, संतुलन बनाए रखेगा. ऐसे में भारत को अपने जवाबी कदमों में अंतरराष्ट्रीय सहमति और समर्थन को ध्यान में रखना होगा.

पहलगाम हमला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता को ललकारने जैसा है. इसका जवाब कूटनीतिक हो, सैन्य हो या साइबर युद्ध जैसा नया तरीका, लेकिन इतना तय है कि भारत चुप नहीं बैठेगा. दुनिया देख रही है कि 140 करोड़ की आबादी वाला एक लोकतांत्रिक देश, आतंक के इस हमले का जवाब कैसे देता है, ताकत से, सोच से या संयम के साथ साहस से.

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