जॉर्ज सोरोस की फंडिंग पर ईडी का बड़ा प्रहार, बेंगलुरु में 8 ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापेमारी!

नई दिल्ली । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जॉर्ज सोरोस द्वारा समर्थित कुछ संस्थाओं पर छापेमारी की है। ईडी मुख्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि ईडीएफ और ओपन सोर्स फाउंडेशन समेत कई संस्थाओं की जांच के लिए बेंगलुरु में कुल आठ जगहों पर छापेमारी की गई है।

फेमा उल्लंघन का मामला

फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के उल्लंघन को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कड़ा रुख अपनाया है। जांच में सामने आया कि अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस और उनके ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (OSF) को 2016 में गृह मंत्रालय ने “पूर्व संदर्भ श्रेणी” में रखा था, जिससे वे भारत में गैर-सरकारी संगठनों को अनियमित फंडिंग नहीं कर सकते थे। 

लेकिन इस प्रतिबंध को दरकिनार करने के लिए OSF ने भारत में सहायक कंपनियों की आड़ में एफडीआई और परामर्श शुल्क के जरिए फंड भेजने की रणनीति अपनाई। यह पैसा भारत में सक्रिय कुछ एनजीओ को आर्थिक सहायता देने में इस्तेमाल हुआ, जो सीधे फेमा कानून का उल्लंघन है।

ईडी की जांच में और क्या खुलासा हुआ? 

सूत्रों के मुताबिक, ईडी अब सोरोस, SEDF और OSF द्वारा भारत में लाए गए विदेशी निवेश (FDI) फंड के इस्तेमाल की गहन जांच कर रहा है। इस कार्रवाई के तहत Espada Investment Pvt. Ltd. की भी तलाशी ली गई, जो भारत में SEDF का निवेश सलाहकार/फंड मैनेजर है और मॉरीशस स्थित एक इकाई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।

OSF खुद को मानवाधिकार, न्याय और पारदर्शिता के लिए काम करने वाला संगठन बताता है, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2021 में OSF ने भारत में 4,06,000 अमेरिकी डॉलर खर्च किए। 1999 में भारत में प्रवेश करने के बाद, OSF ने स्कॉलरशिप और रिसर्च प्रोग्राम के नाम पर भारतीय संस्थानों तक अपनी पहुंच बनाई।

जॉर्ज सोरोस: भारत में विवादों के केंद्र में क्यों?

हंगरी में जन्मे अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस वैश्विक बाजारों में बड़ा नाम हैं, लेकिन भारत में वे एक विवादास्पद फाइनेंसर के रूप में देखे जाते हैं। हाल ही में भाजपा ने उन पर भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोरोस को कांग्रेस का करीबी माना जाता है और उनकी फंडिंग से जुड़ी संस्थाएं भारत में एक विशेष राजनीतिक एजेंडा आगे बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। ईडी की इस कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि विदेशी ताकतों द्वारा भारत की नीतियों को प्रभावित करने की हर कोशिश पर अब सरकार की कड़ी नजर है। जांच आगे बढ़ने के साथ और भी बड़े खुलासे होने की संभावना है।

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