Dussehra 2025 : दशहरे पर यहां नहीं दहन होता रावण, महारानी मंदोदरी से जुड़ा है नाता

Dussehra 2025 : इस साल दो अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। भारत में दशहरे का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। महीने भर पहले से ही लकड़ी और कागज के रावण के पुतले बनाकर तैयार किए जाते हैं। दशहरे के दिन रावण के पुतले को दहन किया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए जाना जाता है। लेकिन क्या आपकौो पता है कि भारत में आज भी की ऐसी जगह हैं जहां रावण दहन नहीं किया जाता है, बल्कि रावण की पूजा की जाती है। आईए जानते हैं कि वो कौन-सी जगहें हैं जहां दशहरे के दिन रावण दहन नहीं होता है।

मंदसौर में रावण को दामाद मानकर पूजते हैं

यूं तो भारत में हर जगह रावण दहन होता है, लेकिन मध्य प्रदेश के मंदसौर में रावण दहन नहीं होता है। क्योंकि मंदसौर रावण की पत्नी मंदोदरी का घर माना जाता है। इसलिए यहां रावण को दामाद मानकर पूजा जाता है। यही नहीं, आज भी मंदसौर की महिलाएं रावण के आगे सिर ढक कर उसका सम्मान करती हैं। यहां के लोगों के बीच मान्यता है कि रावण की प्रतिमा के पैर में लच्छा बांधने से बीमारियां दूर होती हैं और मनोकामना पूरी होती है। विदिशा जिले में एक गांव है, जिसका नाम रावणग्राम है। यहां पर रावण की 10 फीट लंबी मूर्ती स्थापित है।

यूपी के बिसरख में भी होती है पूजा

उत्तर प्रदेश में रावण दहन का पर्व बड़े ही धूमधाम से होता है। लेकिन यहां भी गौतम बुद्ध नगर के बिसरख गांव में रावण को दहन नहीं किया जाता है। यहां पर रावण का जन्मस्थान माना जाता है। दशहरे के दिन रावण की मौत हुई थी, इसलिए रावण की आत्मा की शांति के लिए पूजा की जाती है। लंबे समय से यह प्रथा अभी तक चली आ रही है।

उज्जैन में होती है रावण की पूजा

इसी तरह महाराष्ट्र की उज्जैन नगरी में भी दशहरे पर्व पर रावण की पूजा होती है। उज्जैन में रावण को भगवान शिव का परम भक्त माना जाता है। इसलिए बहुत से परिवार दशहरे के दिन व्रत रखते हैं और हवन कर रावण की पूजा करते हैं।

हिमाचल प्रदेश में भी होती है रावण की पूजा

हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ और कांगड़ा में भी रावण की पूजा की होती है। यहां भी रावण को शिव भक्त मानकर उसका सम्मान किया जाता है। दशहरे के दिन रावण को दहन नहीं किया जाता। यहां के लोग दशहरे के दिन रावण की पूजा की जाती है।

महाराष्ट्र के आदिवासी समुदाय रावण को मानते हैं देवता

महाराष्ट्र में गढ़चिरौली और अमरावती जिले के आदिवासी लोग भी रावण की पूजा करते हैं। आदिवासी रावण को अपना देवता मानते हैं। इसलिए ये लोग दशहरे के दिन रावण दहन नहीं करते बल्कि उसकी पूजा करते हैं।

कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में मंदिर

कर्नाटक के कोलार और मंडया में रावण का मंदिर है। वहाँ दशहरे पर पूजा होती है। आंध्र प्रदेश के काकिनाड में भी रावण का मंदिर है, जहाँ उसे शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यहाँ राम की पूजा भी होती है, लेकिन रावण का सम्मान भी किया जाता है।

राजस्थान में भी होती है रावण की पूजा

राजस्थान के जोधपुर में भी रावण का मंदिर है। यहाँ एक समुदाय अपने पूर्वज रावण को वंशज मानता है। वे दशहरे पर रावण का दहन नहीं करते, बल्कि उसकी पूजा करते हैं। उन्हें गर्व होता है कि उनके पूर्वज रावण थे।

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