थिरुवनंतपुरम की डॉ.जेलाधरा शोभनन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नैनोप्रौद्योगिकी में बड़ी पहचान

  • कैंसर उपचार, पर्यावरण सुरक्षा और औद्योगिक नवाचार में दे रहीं हैं उल्लेखनीय योगदान

थिरुवनंतपुरम : थिरुवनंतपुरम की मूल निवासी और ह्यूस्टन स्थित बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन में कार्यरत डॉ. जेलाधरा शोभनन को नैनोप्रौद्योगिकी के क्षेत्र में वैश्विक पहचान मिल रही है। उनके अनुसंधान कार्यों का दायरा स्वास्थ्य, पर्यावरण, जीवन विज्ञान से लेकर औद्योगिक तकनीकों तक फैला हुआ है, और उन्हें दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक सम्मेलनों और शोध संस्थानों से प्रशंसा प्राप्त हो रही है।

डॉ. शोभनन ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय पट्टम से प्राप्त की और महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टायम से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। उन्होंने नेशनल केमिकल लेबोरेटरी, पुणे और हैदराबाद विश्वविद्यालय में शोध कार्य किया तथा होक्काइडो विश्वविद्यालय, जापान से पर्यावरणीय सामग्री विज्ञान में पीएच.डी. पूरी की। शोध के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

कैंसर उपचार के लिए विकसित किया अत्याधुनिक नैनोडिवाइस

डॉ. शोभनन का सबसे चर्चित शोध कार्य एक नवीन नैनोडिवाइस पर आधारित है, जिसमें कैंसर-लक्षित प्रकाश-सक्रिय अणु और अत्यंत संवेदनशील ऑक्सीजन सेंसर का संयोजन किया गया है। यह डिवाइस मौजूदा तकनीकों की तुलना में 270 गुना अधिक प्रकाश संवेदनशीलता प्रदान करता है, जिससे कैंसर कोशिकाओं की अधिक प्रभावी पहचान और उपचार संभव हो सका है। यह तकनीक वर्तमान में पेटेंट प्रक्रिया में है और इसे प्रकाश-सक्रिय कैंसर चिकित्सा में बड़ा नवाचार माना जा रहा है।

कैंसर की शुरुआती पहचान के लिए विकसित की लिक्विड बायोप्सी तकनीक

कैंसर की प्रारंभिक पहचान में एक नई उम्मीद देते हुए, डॉ. शोभनन ने एक ऐसा लिक्विड बायोप्सी प्लेटफॉर्म विकसित किया है, जो केवल 1 से 10 सर्कुलेटिंग ट्यूमर सेल्स प्रति मिलीलीटर रक्त में भी कैंसर का पता लगाने में सक्षम है। इस उल्लेखनीय नवाचार के लिए उन्हें Japanese Photochemistry Association (JPPA) द्वारा Chemistry Presentation Prize से सम्मानित किया गया — यह पुरस्कार उन्हें दुनियाभर के 260 शोधकर्ताओं में से चयन कर दिया गया।

नैनोमटेरियल की सुरक्षा और पर्यावरणीय प्रभावों पर शोध

नैनोप्रौद्योगिकी के सुरक्षा और पर्यावरणीय पहलुओं पर डॉ. शोभनन का काम समान रूप से महत्वपूर्ण है। उनके एक अध्ययन को प्रतिष्ठित जर्नल Nanoscale के कवर पृष्ठ पर स्थान मिला, जिसमें उन्होंने यह दिखाया कि कुछ नैनोमटेरियल्स, विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल इमेजिंग में प्रयुक्त पदार्थ, प्रकाश के संपर्क में आकर विषैले भारी धातु छोड़ सकते हैं। यह अध्ययन अब नैनोमटेरियल्स के सुरक्षित डिज़ाइन और निपटान के लिए मानक निर्धारित करने में उपयोग किया जा रहा है।

ऊर्जा, जल शोधन और उद्योग के लिए नवाचार

डॉ. शोभनन का कार्य एडवांस्ड ड्रग डिलीवरी सिस्टम्स, पेरोव्स्काइट नैनोक्रिस्टल्स की स्थिरता सुधार, जल शोधन तकनीकों के विकास और औद्योगिक उपयोग के लिए सुरक्षित नैनोमटेरियल फ्रेमवर्क तैयार करने तक विस्तृत है। उनके शोध पत्र ACS Nano, Advanced Drug Delivery Reviews, और The Chemical Record जैसे प्रमुख जर्नलों में प्रकाशित हुए हैं।

भविष्य के लिए उम्मीद की किरण

दो पेटेंट आवेदन, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, और वैश्विक अनुसंधान सहयोग के साथ डॉ. जेलाधरा शोभनन न केवल भारत का नाम रोशन कर रही हैं, बल्कि नैनोप्रौद्योगिकी के माध्यम से स्वास्थ्य, पर्यावरण और उद्योग के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। उनका कार्य अगली पीढ़ी के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहा है।

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