
जयपुर। “आत्मनिर्भरता ही भारत के विकास की कुंजी है,” यह विचार राजस्थान सरकार के राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने राजस्थान विकास संवाद 3.0 2025 में व्यक्त किया। जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, जयपुर द्वारा पीएचडीसीसीआई (PHDCCI) के सहयोग से “समावेशी, हरित, परिवर्तनकारी” विषय पर 9वां राजस्थान विकास संवाद संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें कई प्रतिष्ठित गणमान्य अतिथियों और विशेषज्ञों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसके बाद डॉ. ऋषि प्रकाश शुक्ला ने स्वागत भाषण देते हुए विकास के लिए दृष्टि और कार्य के संरेखण, विविध हितधारकों के सहयोग और स्थिरता व समावेशन को भविष्य निर्माण की अनिवार्यता बताया। मुख्य अतिथि डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल जैसी राष्ट्रीय पहलों पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा केवल डिग्री नहीं, बल्कि समाज, उद्योग और लोकसेवा तक बढ़ती जिम्मेदारी है। उन्होंने छात्रों को केवल नौकरी की तलाश के बजाय व्यावहारिक समस्या समाधान और राष्ट्र निर्माण की दिशा में योगदान पर ध्यान केंद्रित करने की प्रेरणा दी।
विशिष्ट अतिथि डॉ. आर. के. गुप्ता, रेजिडेंट डायरेक्टर, PHDCCI राजस्थान चैप्टर ने कहा कि विकास तभी संभव है जब युवा उसकी प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल हों। उन्होंने राजस्थान को अवसरों की भूमि बताते हुए कहा कि कक्षा से बाहर व्यावहारिक शिक्षा ही सच्चे अनुभवों का आधार बनती है।
संस्थान के निदेशक प्रभारी डॉ. दानेश्वर शर्मा ने राजस्थान को एक राज्य नहीं बल्कि भावना, संस्कृति और विरासत बताते हुए राज्य की तीन प्रमुख शक्तियों—खनिज संसाधन, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यटन—पर प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को नौकरी के शीर्षकों के बजाय कौशल और क्षमता विकसित करने पर ध्यान देने की सलाह दी।
दिनभर चले विभिन्न सत्रों में राजस्थान के विकास मॉडल के विविध आयामों पर चर्चा हुई। “राजस्थान की अर्थव्यवस्था का परिवर्तन” सत्र में 2030 तक $350 बिलियन और 2047 तक $4.3 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था निर्माण के रोडमैप, औद्योगिक विस्तार, MSME विकास और निर्यात उन्मुख रणनीतियों पर विमर्श हुआ। “ग्रीन राजस्थान” सत्र में नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और चक्रीय अर्थव्यवस्था पर विशेषज्ञों ने दृष्टिकोण साझा किया। “समावेशी विकास” सत्र में उद्यमिता, कौशल प्रशिक्षण और हाशिए के समुदायों को सशक्त बनाने के महत्व पर चर्चा हुई।
स्वास्थ्य सेवा को केंद्र में रखते हुए “सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण” सत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य पहुंच, निवारक चिकित्सा और पारंपरिक उपचार पद्धतियों की भूमिका पर विचार रखे गए। इसके अतिरिक्त पर्यटन और विरासत आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, डिजिटल शासन और पारदर्शिता, शहरी विकास, टिकाऊ आधारभूत ढांचा, ग्रामीण कृषि, जल प्रबंधन और स्थानीय उत्पादकता बढ़ाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम के समापन सत्र में जयपुरिया के छात्रों ने सभी वक्ताओं, अतिथियों, आयोजकों, संकाय सदस्यों और प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि राजस्थान विकास संवाद 2025 ने राज्य के भविष्य विकास पथ की दिशा अधिक स्पष्ट की है और इसे उद्देश्यपूर्ण रूप से सार्थक बनाया है।















