
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम और गाजियाबाद से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर नसबंदी कराने और शेल्टर होम में रखने का आदेश दिया है। इसके लिए प्रशासन को 8 हफ्तों की समयसीमा दी गई है। आदेश के खिलाफ विरोध करने वालों पर भी कार्रवाई होगी।
दरअसल, 28 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या पर स्वत: संज्ञान लेते हुए एक ऐतिहासिक आदेश जारी किया। कोर्ट ने स्थानीय निकायों को निर्देश दिया कि –
- 8 सप्ताह के भीतर सभी सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को पकड़ा जाए।
- इन कुत्तों की नसबंदी की जाए और उन्हें शेल्टर होम्स में स्थानांतरित किया जाए।
- शिकायत मिलने पर 4 घंटे के भीतर कार्रवाई अनिवार्य।
- पकड़े गए कुत्तों का दैनिक रिकॉर्ड रखा जाए और उन्हें सड़कों पर दोबारा नहीं छोड़ा जाए।
- आदेश का विरोध करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी।
बता दें कि यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में रेबीज के बढ़ते मामलों और कुत्तों के हमलों से होने वाली मौतों के कारण लिया गया।
क्यों पड़ी सख्ती की जरूरत?


2024 में भारत में 37 लाख से ज्यादा कुत्तों के काटने के मामले दर्ज हुए, जिनमें 54 मौतें रेबीज से हुईं।
2025 के जनवरी में ही 4.29 लाख मामले सामने आए।
महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक और बिहार जैसे राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित।
गाजियाबाद में 2023 में 14 वर्षीय बच्चे की रेबीज से मौत और 2024 में 22 वर्षीय कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की कुत्ते के काटने से मृत्यु ने इस समस्या को उजागर किया।
आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी

2019 में पशुपालन मंत्रालय के अनुसार भारत में 1.53 करोड़ आवारा कुत्ते थे, जो 2024 तक बढ़कर 6.05 करोड़ हो गए। दिल्ली-एनसीआर में अनुमानित 8 लाख आवारा कुत्ते।
बढ़ती आबादी के साथ कुत्तों का आक्रामक व्यवहार बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरा बन रहा है।
शिकायतों पर कार्रवाई में देरी
कोर्ट ने पाया कि स्थानीय प्रशासन शिकायतों पर समय पर कार्रवाई नहीं कर रहा, जिससे स्थिति बिगड़ रही है। कोर्ट के इस आदेश ने समाज को दो हिस्सों में बांट दिया है
डॉग लवर्स

उनका कहना है कि कुत्तों को शेल्टर में रखना उनके अधिकारों का हनन है। सड़कों पर खाना खिलाने की प्रथा को वे सही ठहराते हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने इस आदेश की आलोचना करते हुए कहा कि यह पारिस्थितिकी संतुलन को बिगाड़ सकता है।
उन्होंने पेरिस (1880) का उदाहरण दिया, जहां कुत्तों और बिल्लियों को हटाने से चूहों की संख्या बढ़ गई और बीमारियां फैलीं। मेनका का दावा है कि दिल्ली से कुत्ते हटाने पर गाजियाबाद और फरीदाबाद से कुत्ते दिल्ली में आएंगे, क्योंकि यहां खाना आसानी से उपलब्ध है।
वहीं कई लोग, खासकर बच्चे और बुजुर्ग, कुत्तों के हमलों से डरे हुए हैं। वे सड़कों से कुत्तों को हटाने के पक्ष में हैं। शिकायत है कि कुछ लोग सोसाइटी के बाहर कुत्तों को खाना खिलाते हैं, जिससे हमलों का खतरा बढ़ता है।
शेल्टर होम्स की कमी

भारत में 3,500 शेल्टर होम्स हैं, लेकिन ये सभी जानवरों के लिए हैं, न कि सिर्फ कुत्तों के लिए।
दिल्ली में 8 लाख कुत्तों के लिए एक भी सरकारी शेल्टर नहीं। गुरुग्राम में 50,000 कुत्तों के लिए केवल 100 की क्षमता। नोएडा में 1.5 लाख कुत्तों के लिए कोई सरकारी शेल्टर नहीं। शेल्टर की कमी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में सबसे बड़ी बाधा।
इंडियन पेरियाह डॉग सबसे ज्यादा सड़कों पर पाए जाते हैं, लेकिन लोग विदेशी नस्लों (जैसे लेब्राडॉर, जर्मन शेफर्ड) को प्राथमिकता देते हैं। देसी कुत्तों को गोद लेने की दर कम होने से उनकी संख्या अनियंत्रित बढ़ रही है।

नसबंदी, टीकाकरण और शेल्टर होम्स के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग और बुनियादी ढांचे की जरूरत।
मेनका गांधी ने चेतावनी दी कि यह फैसला आर्थिक बोझ बढ़ाएगा। कई देशों ने आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए प्रभावी उपाय किए हैं, जिनसे भारत सीख सकता है-
अमेरिका – एनिमल केयर सेंटर्स आवारा कुत्तों को शेल्टर प्रदान करते हैं। सभी पालतू जानवरों के लिए लाइसेंस और माइक्रोचिप अनिवार्य। नसबंदी और टीकाकरण के सख्त नियम।
ब्रिटेन– स्थानीय प्रशासन 36,000 आवारा कुत्तों की देखभाल करता है (2023-24)।
शेल्टर होम्स और गोद लेने की सुविधा।
सिंगापुर – कुत्तों पर माइक्रोचिप लगाकर उनकी लोकेशन ट्रैक की जाती है। नसबंदी और शेल्टर होम्स में रखने की नीति। लोग आसानी से कुत्तों को गोद ले सकते हैं।
तुर्की – 2020 तक 40 लाख आवारा कुत्तों की समस्या थी। संसद ने कानून बनाकर नसबंदी, टीकाकरण और शेल्टर होम्स की व्यवस्था की। गोद लेने की प्रक्रिया को बढ़ावा।
जापान – स्थानीय प्रशासन शेल्टर होम्स, नसबंदी और टीकाकरण का प्रबंधन करता है।
खूंखार या बीमार कुत्तों को मारने का अधिकार। गोद लेने की सुविधा।
नीदरलैंड- बड़े पैमाने पर नसबंदी और शेल्टर प्रोग्राम के जरिए आवारा कुत्तों की समस्या लगभग समाप्त। पालतू जानवरों के लिए लाइसेंस, माइक्रोचिप और नियमित वैक्सीनेशन अनिवार्य।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने का एक साहसिक कदम है, लेकिन इसकी सफलता शेल्टर होम्स, नसबंदी अभियानों और सामाजिक जागरूकता पर निर्भर करेगी। भारत को नीदरलैंड, सिंगापुर और तुर्की जैसे देशों से प्रेरणा लेकर एक मानवीय और दीर्घकालिक समाधान की दिशा में काम करना होगा। साथ ही, समाज को एकजुट होकर देसी कुत्तों को अपनाने और उनके साथ सहानुभूति रखने की जरूरत है। अब देखना ये होगा की क्या भारत में भी अब विदेशी फोर्मूला लागू या नही आवारा कुत्तो को रोकने का ?
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