डार्क मोड से नहीं बढ़ती बैटरी? ये 3 चौंकाने वाली वजहें जानकर आप खुद छोड़ देंगे इसका इस्तेमाल

आजकल लगभग हर स्मार्टफोन में डार्क मोड का विकल्प दिया जाता है और बड़ी संख्या में यूजर्स इसे यह मानकर ऑन रखते हैं कि इससे बैटरी की खपत कम होगी और आंखों को आराम मिलेगा। पहली नजर में डार्क स्क्रीन वाकई सुकून देती है, क्योंकि तेज रोशनी आंखों को नहीं चुभती। इसी वजह से लोगों को लगता है कि कम ब्राइटनेस के कारण फोन की बैटरी भी ज्यादा देर तक चलेगी।

हालांकि, सच्चाई इससे थोड़ी अलग है। मेक यूज ऑफ की एक रिपोर्ट के अनुसार डार्क मोड को लेकर सबसे बड़ा भ्रम OLED डिस्प्ले से जुड़ा हुआ है। आमतौर पर यह माना जाता है कि काले पिक्सल पूरी तरह बंद हो जाते हैं और बिजली की खपत नहीं करते, लेकिन यह बात तभी सही होती है जब स्क्रीन पर बिल्कुल शुद्ध काला रंग इस्तेमाल किया जाए।

वास्तविकता यह है कि ज्यादातर ऐप्स और सिस्टम डार्क मोड में असली काले रंग की जगह डार्क ग्रे शेड्स का उपयोग करते हैं। ग्रे पिक्सल भी पावर लेते हैं, ऐसे में बैटरी की बचत उतनी नहीं हो पाती जितनी यूजर्स उम्मीद करते हैं। यानी डार्क मोड हर हाल में बैटरी सेवर साबित नहीं होता।

पढ़ने के अनुभव की बात करें तो कई बार डार्क मोड आंखों को ज्यादा थका भी सकता है। सदियों से किताबें और अखबार सफेद पन्नों पर काले अक्षरों में छपते आ रहे हैं, क्योंकि यह संयोजन आंखों के लिए सबसे सहज माना जाता है। डार्क मोड में हल्के रंग का टेक्स्ट गहरे बैकग्राउंड पर होता है, जिससे लंबे समय तक पढ़ना मुश्किल हो सकता है।

इसके अलावा, कुछ स्मार्टफोन्स में डार्क मोड के रंग इस तरह से चुने जाते हैं कि कंट्रास्ट सही नहीं बन पाता। नतीजतन आंखों पर और ज्यादा दबाव पड़ता है और देखने में असहजता महसूस होती है।

डिजाइन के लिहाज से भी डार्क मोड हर ऐप में बेहतर नहीं लगता। कई ऐप्स को शुरुआत में सिर्फ लाइट मोड के लिए डिजाइन किया गया था और बाद में उनमें डार्क मोड जोड़ा गया। इसका असर यह होता है कि रंग उतने साफ नजर नहीं आते। उदाहरण के तौर पर, नीले या रंगीन आइकन सफेद बैकग्राउंड पर ज्यादा स्पष्ट दिखते हैं, जबकि गहरे बैकग्राउंड पर फीके और अटपटे लग सकते हैं।

एक समय डार्क मोड एक ट्रेंड बन गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे इसकी सीमाएं भी सामने आ रही हैं। न तो यह हर फोन में बैटरी बचाता है और न ही हर ऐप में आंखों के लिए बेहतर होता है। अगर डार्क मोड में आपको पढ़ने में परेशानी होती है या डिजाइन पसंद नहीं आता, तो इसे बंद करना बिल्कुल गलत नहीं है। आखिरकार, स्मार्टफोन का इस्तेमाल आपकी सुविधा और आराम के लिए है, किसी भ्रम के भरोसे नहीं।

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