अजमेर स्थित ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर होने के दावे के संबंध में दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने कहा कि यह सस्ती लोकप्रियता के अलावा कुछ भी नहीं। दीवान ने कहा कि 850 साल से दरगाह में शिव मंदिर होने की बात नहीं उठी तो अब ऐसा क्या हुआ? कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए अदालतों में मामले को उलझा रहे हैं।
दीवान आबेदीन ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की ओर से संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी इंद्रेश कुमार समय समय पर ख्वाजा साहब की मजार पर चादर पेश करते रहे हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पिछले 11 वर्षों से ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में देश की परंपरा के अनुरूप मजार शरीफ पर चादर पेश करवा रहे हैं। देश के अधिकांश राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल आदि नेता भी दरगाह में आकर जियारत करते रहे हैं। ख्वाजा साहब का इतिहास 850 वर्ष पुराना है। वे स्वयं भी ख्वाजा साहब के परिवार से संबंध रखते हैं और परिवार परंपरागत तौर पर दीवान बनता आ रहा है।
आज तक भी दरगाह में मंदिर होने की बात नहीं उठी। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए अदालतों में मामले को उलझा रहे हैं। अदालतों का भी इस मामले में देश के कानून के प्रावधानों का ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि ख्वाजा साहब की दरगाह का अंतरराष्ट्रीय महत्व है। दरगाह में होने वाली हर गतिविधि का असर दुनिया भर में पड़ता है। मालूम हो कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के वाद पर अजमेर में सिविल अदालत ने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय और उसके काम करने वाली दरगाह कमेटी के साथ साथ भारतीय पुरातत्व विभाग को नोटिस जारी किए हैं। गुप्ता ने वाद में ही दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा किया गया है। अब इस मामले में 20 दिसंबर को अगली सुनवाई होगी।