
गोला गोकर्णनाथ, लखीमपुर खीरी। तहसील गोला के सेन्ट्रल बार एसोसिएशन में आंतरिक विवाद उस समय हिंसक रूप ले लिया जब दो गुटों के बीच कहासुनी के बाद मारपीट हो गई। इस घटना में संघ के महामंत्री अनूप कुमार वर्मा को नौ अधिवक्ताओं ने लात-घूंसों से पीट दिया। वहीं दूसरी ओर, इसी मामले से जुड़ा वित्तीय गबन का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ अधिवक्ताओं के एक समूह ने अध्यक्ष और महामंत्री के खिलाफ अलग मुकदमा दर्ज कराया है। दोनों पक्षों के आरोपों से अधिवक्ता संघ में तनाव व्याप्त है और माहौल गर्म है।
मारपीट की घटना, नौ अधिवक्ता नामजद
शुक्रवार दोपहर करीब तीन बजे की घटना है। अधिवक्ता अनूप कुमार वर्मा, जो कि सेन्ट्रल बार एसोसिएशन गोला के महामंत्री हैं, अपने कार्यालय में अधिवक्ता राकेश वर्मा (पूर्व अध्यक्ष), राकेश कुमार वर्मा, सुनील कुमार वर्मा, विजय वर्मा, कमल किशोर वर्मा और उपमंत्री सुमित गिरी के साथ बैठे थे। इस दौरान अधिवक्ता नरेश सिंह तोमर, विनोद कुमार वर्मा, संतकुमार भारती, राजेश गिरी, रामजी लाल दीक्षित, नीरज मिश्रा, प्रेम किशोर मिश्रा, प्रमोद कुमार गुप्ता और नरेन्द्र शुक्ला वहां जबरन पहुंच गए।
आरोप है कि नरेश सिंह तोमर ने अनूप वर्मा से रुपयों का हिसाब मांगा, जिस पर उन्होंने जवाब दिया कि “सभी कार्य संघ की नियमावली के अनुसार चल रहे हैं।” इसी बात पर नरेश तोमर भड़क गए और अपने साथियों के साथ मिलकर महामंत्री पर हमला कर दिया। आरोपितों ने लात-घूंसों से पीटकर उन्हें घायल कर दिया। शोर मचने पर मौजूद अधिवक्ताओं ने किसी तरह बीच-बचाव किया।
पीड़ित अधिवक्ता ने बताया कि हमलावरों ने जाते-जाते जान से मारने की धमकी भी दी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर नौ अधिवक्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
वित्तीय गबन का आरोप, अध्यक्ष और महामंत्री के खिलाफ तहरीर
दूसरी ओर, अधिवक्ता सुरेश कुमार गुप्ता, नरेश सिंह तोमर, प्रेम किशोर मिश्रा, विमल श्रीवास्तव और विजय प्रकाश वर्मा सहित पांच अधिवक्ताओं ने सेन्ट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के.के. शुक्ला, मंत्री अनूप कुमार वर्मा और कर्मचारी अश्वनी कुमार वर्मा पर ₹2,70,840 के गबन का आरोप लगाते हुए कोतवाली में तहरीर दी है। शिकायतकर्ताओं के अनुसार, कार्यकारिणी ने संविधान का उल्लंघन करते हुए बिना सदन की अनुमति लाखों रुपये खर्च किए। संविधान के तहत किसी भी पदाधिकारी को अधिकतम ₹5,000 तक के खर्च की अनुमति होती है।
उन्होंने बताया कि 24 सितंबर 2025 को प्रस्तुत ऑडिट रिपोर्ट में भी वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई है। 7 नवंबर को हुई बैठक में मंत्री अनूप वर्मा पर गाली-गलौज और हाथापाई के प्रयास का भी आरोप लगाया गया है। अधिवक्ताओं ने रिपोर्ट के साथ ऑडिट रिपोर्ट, प्रस्ताव, विधिक नोटिस और स्पष्टीकरण पत्र सहित सात दस्तावेज संलग्न किए हैं। इस आधार पर पुलिस ने तीनो अधिवक्ताओं पर मामला दर्ज कर दोनों तरफ से जांच का जिम्मा उपनिरीक्षक राजन कुमार को सौंपा है।
दोनों मुकदमों में आमने-सामने अधिवक्ता गुट
अधिवक्ता गण अब दो गुटों में बंट गए है। एक ओर अनूप कुमार वर्मा और अध्यक्ष के.के. शुक्ला का गुट है, जो कह रहा है कि विपक्षियों द्वारा दर्ज कराया गया मुकदमा असंवैधानिक और नियमविरुद्ध है। वहीं दूसरा गुट वित्तीय गबन के आरोपों पर अड़ा हुआ है और पारदर्शी जांच की मांग कर रहा है।
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के.के. शुक्ला और महामंत्री अनूप वर्मा ने कहा कि “गबन का आरोप निराधार है, क्योंकि एसोसिएशन की आय-व्यय रिपोर्ट अभी प्रस्तुत ही नहीं की गई है। विरोधी गुट सिर्फ राजनीतिक और व्यक्तिगत द्वेषवश झूठे मुकदमे दर्ज करा रहा है।”
दोनों मुकदमों में दर्ज नामजद अधिवक्ताओं में मारपीट प्रकरण (मुकदमा दर्जकर्ता — अधिवक्ता अनूप कुमार वर्मा, महामंत्री सेन्ट्रल बार एसोसिएशन) की ओर से नरेश सिंह तोमर, विनोद कुमार वर्मा, संतकुमार भारती, राजेश गिरी नोटरी, रामजी लाल दीक्षित, नीरज मिश्रा, प्रेम किशोर मिश्रा, प्रमोद कुमार गुप्ता, नरेन्द्र शुक्ला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है
वहीं वित्तीय अनियमितता / गबन प्रकरण (मुकदमा दर्जकर्ता — अधिवक्ता सुरेश कुमार गुप्ता व अन्य) की ओर से के.के. शुक्ला (अध्यक्ष, सेन्ट्रल बार एसोसिएशन) अनूप कुमार वर्मा (महामंत्री, सेन्ट्रल बार एसोसिएशन), अश्वनी कुमार वर्मा (कर्मचारी) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
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