अमिताभ बच्चन के पैर छूने पर खालिस्तानी संगठन की धमकी का दिलजीत दोसांझ ने दिया करारा जवाब

Mumbai : पंजाबी सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ इन दिनों एक नए विवाद के चलते सुर्खियों में हैं। हाल ही में वे मशहूर टीवी शो ‘कौन बनेगा करोड़पति 17’ (KBC) के सेट पर पहुंचे थे, जहां उन्होंने बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। यह सामान्य सम्मान का भाव था, लेकिन इस पर प्रतिबंधित खालिस्तानी संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) ने तीखी प्रतिक्रिया दी और दिलजीत को धमकी तक दे डाली।

विवाद की शुरुआत

दरअसल, KBC के एक एपिसोड का एक प्रमोशनल वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। इस क्लिप में दिलजीत दोसांझ, अमिताभ बच्चन के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लेते नजर आते हैं। वीडियो सामने आते ही SFJ के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने इसे लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने दिलजीत पर निशाना साधते हुए कहा कि बच्चन ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान हिंसा भड़काने में भूमिका निभाई थी, और उनके पैर छूना सिख समुदाय के शहीदों का अपमान है।

यही नहीं, संगठन ने दिलजीत दोसांझ को 1 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले उनके कॉन्सर्ट को बाधित करने की धमकी भी दी। पन्नू ने अपने बयान में कहा कि बच्चन के पैर छूकर दिलजीत ने “1984 के सिख नरसंहार के हर पीड़ित, हर विधवा और हर अनाथ का अपमान किया है।”

दिलजीत दोसांझ का दो टूक जवाब

लगातार बढ़ते विवाद के बीच आखिरकार दिलजीत दोसांझ ने इंस्टाग्राम स्टोरी के ज़रिए अपनी चुप्पी तोड़ी। बिना किसी का नाम लिए उन्होंने लिखा

“मैं वहां किसी फिल्म या गाने के प्रमोशन के लिए नहीं गया था। मैं पंजाब में आई बाढ़ के मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर उठाने और लोगों से मदद की अपील करने के लिए गया था।”

दिलजीत का यह बयान साफ संकेत देता है कि उनका उद्देश्य किसी राजनीतिक या विवादित मकसद से नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा था।

SFJ के आरोपों की पृष्ठभूमि

SFJ का आरोप है कि 1984 में सिख विरोधी दंगों के दौरान अमिताभ बच्चन ने कथित रूप से ‘खून का बदला खून से’ जैसे नारे लगाए थे, जिससे हिंसा भड़की और हजारों सिखों की जान गई। हालांकि, अमिताभ बच्चन ने हमेशा इन आरोपों से इनकार किया है और कभी भी ऐसे किसी बयान को स्वीकार नहीं किया है।

1984 के सिख दंगे: एक नजर में

31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसके बाद 1 नवंबर से दिल्ली सहित देश के कई हिस्सों में भीषण दंगे भड़के, जिनमें हजारों सिखों की हत्या कर दी गई।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार

दिल्ली में करीब 2,800 सिखों की मौत हुई,

जबकि पूरे देश में यह संख्या 3,300 से अधिक बताई गई।
खालिस्तानी संगठनों का दावा है कि यह संख्या 30,000 से भी ज्यादा थी।
इन दंगों की याद में अकाल तख्त ने 1 नवंबर को ‘सिख नरसंहार स्मृति दिवस’ घोषित किया है।

दिलजीत का रुख और लोगों की प्रतिक्रिया

दिलजीत दोसांझ के बयान के बाद उनके प्रशंसकों ने उनका समर्थन किया। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने लिखा कि किसी बुजुर्ग का सम्मान करना भारतीय संस्कृति का हिस्सा है, और इसे धर्म या राजनीति से जोड़ना गलत है।
एक यूजर ने लिखा

“दिलजीत ने जो किया, वह सभ्यता और संस्कार का उदाहरण है। हर बुजुर्ग का आशीर्वाद लेना अपराध नहीं है।”

वहीं, कुछ लोगों ने SFJ के बयान को “अनावश्यक विवाद पैदा करने की कोशिश” बताया।

इस पूरे विवाद के बीच दिलजीत दोसांझ ने शालीनता और संतुलन बनाए रखा है। उन्होंने साफ किया कि उनका उद्देश्य किसी का पक्ष लेना नहीं, बल्कि समाज के हित में आवाज उठाना था।
फिलहाल, उनके ऑस्ट्रेलिया कॉन्सर्ट की तैयारियाँ जारी हैं, और फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि यह विवाद जल्द शांत हो जाएगा।

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