
- आरएसएस की संगठनात्मक ताकत पर टिप्पणी से बढ़ा सियासी विवाद, कांग्रेस में भी मंथन
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह द्वारा आरएसएस–बीजेपी की संगठनात्मक मजबूती का जिक्र किए जाने के बाद राजनीतिक गलियारों में नई बहस छिड़ गई है। दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा था कि भाजपा को सत्ता से बाहर करने की लड़ाई में मजबूत संगठन बेहद अहम है। उनके इस बयान पर जहां कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने समर्थन जताया, वहीं भाजपा ने इसे कांग्रेस की आंतरिक कमजोरी से जोड़ते हुए नेतृत्व पर सवाल उठाए।
दरअसल, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर साझा की थी। पोस्ट में उन्होंने आरएसएस–बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे का उदाहरण देते हुए कहा था कि किस तरह जमीनी कार्यकर्ता अनुशासन और प्रशिक्षण के जरिए नेतृत्व तक पहुंचते हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने कांग्रेस को भी संगठन मजबूत करने की सलाह दी थी।
बयान सामने आने के बाद भाजपा ने कांग्रेस पर निशाना साधा, जबकि पार्टी के भीतर भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। विवाद बढ़ने पर दिग्विजय सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने आरएसएस की विचारधारा की नहीं, बल्कि केवल उसके संगठनात्मक ढांचे की बात की है। उन्होंने साफ किया कि वह आरएसएस और प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों के विरोधी हैं, लेकिन संगठन की मजबूती को स्वीकार करना गलत नहीं है।
इस मुद्दे पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने संतुलित रुख अपनाते हुए कहा कि किसी भी राजनीतिक दल के लिए अनुशासन और जमीनी पकड़ जरूरी होती है। वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने भी दिग्विजय सिंह का समर्थन करते हुए कहा कि उनके बयान को सही संदर्भ में समझा जाना चाहिए।
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने आरोप लगाया कि भाजपा बयान की भावना को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। वहीं भाजपा नेताओं ने इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेतृत्व और पार्टी की स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं। कुल मिलाकर, दिग्विजय सिंह के बयान ने कांग्रेस और भाजपा के बीच सियासी टकराव को और तेज कर दिया है।
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