
भारत सरकार की ओर से सुरक्षा के लिए उड़ान के दौरान एयर मार्शल्स की तैनाती की जाती है, जिनकी संख्या बढ़ाकर छह तक की जा सकती है, खासकर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों और सुरक्षा खतरों के मद्देनजर। जब आप किसी फ्लाइट में सफर करते हैं, तो सबसे पहले सिक्योरिटी चेक-इन से गुजरते हैं, जहां आपकी और आपके सामान की पूरी जांच की जाती है ताकि यात्रा के दौरान कोई खतरा न हो। हवाई यात्रा के दौरान सुरक्षा जांच अन्य परिवहन साधनों के मुकाबले ज्यादा कड़ी होती है, ताकि उड़ान के दौरान कोई अनहोनी न हो।
हालांकि इतनी सख्त सुरक्षा जांच के बावजूद, हर फ्लाइट में एक शख्स बंदूक और अन्य हथियारों के साथ यात्रा करता है, जो फ्लाइट के लैंड होने तक वहीं रहता है। यह शख्स एयर मार्शल होता है, जिसे स्काई मार्शल भी कहा जाता है। ये आर्म्ड सिक्योरिटी अफसर होते हैं, जो पैसेंजर फ्लाइट्स में गुप्त रूप से सफर करते हैं। इनकी पहचान करना असंभव होता है, और इनके पास जो हथियार होते हैं, वे भी छिपे होते हैं। एक फ्लाइट में आमतौर पर एक या दो एयर मार्शल होते हैं, और किसी पैसेंजर को यह नहीं पता चलता कि एयर मार्शल कहां बैठे हैं। इनका मुख्य कार्य है फ्लाइट को हाईजैक होने से बचाना और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
अगर कोई अंतरराष्ट्रीय उड़ान हो या खतरे की आशंका हो, तो सरकार एयर मार्शल्स की संख्या बढ़ा सकती है, जो अधिकतम 6 तक हो सकती है। आतंकवादी खतरों के मद्देनजर, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) के कमांडोज को एयर मार्शल के रूप में तैनात किया जाता है। ये खासतौर पर हाईजैक जैसी स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित होते हैं। एयर मार्शल्स की तैनाती 1999 में एयर इंडिया की फ्लाइट आईसी 814 के कंधार हाईजैक के बाद शुरू की गई थी, और तब से यह हर घरेलू और अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट्स में गुप्त रूप से की जाती है।