
हिमाचल प्रदेश में अब संगठित अपराधों के खिलाफ कड़े कानून बनाए गए हैं, जिनके तहत चिट्टा तस्करी, नकली शराब बेचने और अन्य संगठित अपराधों से जुड़े मामलों में दोषियों को कड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की ओर से विधानसभा में पेश किया गया “हिमाचल प्रदेश संगठित अपराध विधेयक” शुक्रवार को ध्वनिमत से पारित हो गया। अब इस विधेयक को राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद यह कानून का रूप लेगा।
इस विधेयक में कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए हैं:
- मृत्युदंड या आजीवन कारावास:
यदि कोई व्यक्ति चिट्टा तस्करी, नकली शराब बेचने या अन्य संगठित अपराधों में संलिप्त पाया जाता है और इससे किसी की मौत होती है, तो दोषी को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है। साथ ही, 10 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा और नशे से कमाई गई संपत्ति को जब्त किया जाएगा। - संगठित अपराध में सहयोग:
यदि कोई व्यक्ति संगठित अपराध को उकसाता है, षड्यंत्र रचता है या अपराध में सहयोग करता है, तो उसे कम से कम एक साल के कारावास से दंडित किया जाएगा, जो आजीवन कारावास तक बढ़ सकता है। इसके साथ ही जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। - संगठित अपराध गिरोह के सदस्य:
संगठित अपराध के गिरोह का सदस्य बनने पर एक साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, किसी ऐसे व्यक्ति को शरण देने या छिपाने पर भी कड़ी सजा का प्रावधान है, जिसने संगठित अपराध किया हो। - संपत्ति पर कब्जा:
यदि कोई व्यक्ति संगठित अपराध से प्राप्त संपत्ति पर कब्जा करता है, तो उसे एक साल से लेकर 10 साल तक की सजा हो सकती है। इस सजा के साथ जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया है। - ड्रग्स से जुड़ा अपराध:
अगर किसी व्यक्ति के पास ड्रग्स पाए जाते हैं या वह इसे खरीदने, बेचने या परिवहन करने में संलिप्त पाया जाता है, तो उसे दो से 14 साल तक के कठोर कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा। - अवैध गतिविधियों का दायरा बढ़ाया गया:
इस कानून के तहत अवैध खनन, वन कटान, वन्य जीवों की तस्करी, मानव अंगों की तस्करी, साइबर आतंकवाद, फर्जी बिल बनाना, फर्जी दस्तावेज रैकेट, मैच फिक्सिंग जैसे अपराध संगठित अपराध के अंतर्गत आएंगे। - सरकारी कर्मचारियों के लिए कड़ी सजा:
यदि कोई सरकारी कर्मचारी संगठित अपराधों में शामिल पाया जाता है, तो उसकी सजा दोगुनी होगी।