
धर्मशाला। तिब्बती बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा तेंजिन ग्यात्सो ने अपने 90वें जन्मदिन पर दुनियाभर से मिले प्रेम और शुभकामनाओं के लिए गहरा आभार व्यक्त करते हुए एक भावुक संदेश जारी किया। उन्होंने अपने जीवन को करुणा, दयालुता और सेवा के मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित बताया और कहा कि वे आगे भी इस मिशन को जारी रखेंगे।
उन्होंने अपने अनुयायियों और शुभचिंतकों से आग्रह किया कि वे भी इस प्रयास में सहभागी बनें, दयालु बनें और दूसरों की सेवा में सार्थक जीवन जिएं। दलाई लामा ने कहा, “यही मेरे लिए सबसे बड़ा जन्मदिन का उपहार होगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि उन्हें संतोष है कि उनका जीवन अब तक लोगों के लिए उपयोगी रहा है और आगे भी वह शेष जीवन मानव सेवा को समर्पित करना चाहते हैं।
डोलग्याल प्रथा को बताया विभाजनकारी, चेताया अनुयायियों को
शुक्रवार को एक सार्वजनिक दर्शन कार्यक्रम के दौरान एक परिवार ने विवादास्पद डोलग्याल (शुगडेन) प्रथा के दुष्परिणामों पर चिंता व्यक्त की। इस पर दलाई लामा ने रेटो मठ के पूर्व और वर्तमान अभोट को संबोधित करते हुए कहा कि यह प्रथा तिब्बती बौद्ध धर्म की मूल शिक्षाओं से मेल नहीं खाती और समुदाय में विभाजन उत्पन्न कर रही है।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह एक भ्रामक और हानिकारक परंपरा है, जिससे दूर रहना चाहिए। उन्होंने श्रद्धालुओं से सच्ची करुणा और ज्ञान के पथ पर चलने की अपील की और कहा कि अंधविश्वासपूर्ण व्यवहार धार्मिक एकता के लिए घातक है।
डोलग्याल, जिसे शोल्देन ग्यालपो भी कहा जाता है, तिब्बती बौद्ध धर्म में एक विवादास्पद रक्षक देवता माना जाता है। जबकि कुछ अनुयायी इसे पूजा योग्य मानते हैं, दलाई लामा और कई अन्य इसे विधर्मी और नकारात्मक शक्ति मानते हैं।
लद्दाख रवाना हुए दलाई लामा, दर्शन को उमड़े श्रद्धालु
शनिवार सुबह दलाई लामा अपने निवास से लद्दाख की यात्रा के लिए रवाना हुए। वे कांगड़ा एयरपोर्ट से विमान द्वारा लेह पहुंचे, जहां वे एक महीने तक निवास करेंगे। हर वर्ष की तरह इस बार भी मानसून के मौसम में वह लद्दाख के शुष्क वातावरण को अपने स्वास्थ्य के लिए अधिक अनुकूल मानते हैं।
उनके प्रस्थान के दौरान सैकड़ों तिब्बती अनुयायी धर्मशाला की सड़कों पर कतारों में खड़े होकर उनके दर्शन के लिए उमड़े। लद्दाख में उनके स्वागत की तैयारियाँ भी जोरों पर हैं। वे अपने प्रवास के दौरान शिवा त्सेल फोद्रांग में रहेंगे।
ध्यान देने योग्य है कि जब दलाई लामा धर्मशाला में मौजूद रहते हैं, तब देश-विदेश से बौद्ध अनुयायियों का भारी आगमन होता है। लेकिन उनकी अनुपस्थिति में मैक्लोडगंज में श्रद्धालुओं की संख्या में गिरावट देखी जाती है।