भास्कर समाचार सेवा
सैफई इटावा।आज त्रिविध पाविनी बौद्ध पूर्णिमा के दिन शाक्योदय बौद्ध संघ सैफई के संरक्षक डीआर शाक्य के नेतृत्व मैं तहसील सैफई के टिमरुआ गांव से केशोपुर, भूटा, हरदोई, मानिकपुर, रकुइया, हवाई पट्टी, नगला पमी, बरौली कला, तिलोकपुर, उझियानी सैफई होते हुए गींजा बौद्ध विहार पर समापन हुई इस धम्म् यात्रा को मुख्य अतिथि संजीव शाक्य निवर्तमान जिलाध्यक्ष आम आदमी पार्टी,जैल सिंह शाक्य प्रधान टिमरूआ ने हरी झंडी दिखाकर यात्रा का शुभारंभ किया जिसमें बौद्ध संघ की साथी डॉ रमेश चंद्र शाक्य उपाध्यक्ष, डॉ राजीव शाक्य कोषाध्यक्ष, प्रदीप शाक्य महासचिव, नीलेश शाक्य सचिव, रामवीर शाक्य सचिव, डॉक्टर सुशील शाक्य सचिव, गुलशन, डॉक्टर सतीश, दीपू, शिवनाथ, योगेश बिहारी, शिवम, आशु, दीपक, विकास शाक्य, सहित बुद्ध संघ के सैकड़ों कार्यकर्ता मौके पर मौजूद रहे। मुख्य अतिथि संजीव शाक्य ने धम्म पर बोलते हुए बताया विश्व में शांति करुणा, दया, मैत्री के संदेशवाहक गौतम बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति एवं महापरिनिर्वाण वैशाखी पूर्णिमा को एक ही दिन होना एक अद्भुत संयोग है त्रिविध पावनी का भगवान बुद्ध ने सम्यक संबोधी प्राप्त करने के बाद धम्मचक्रपवत्तनाय चलाया जिसमें उन्होंने त्रिरत्न (बुध रत्न, धम्म् रत्न, संघ रत्न ) और चार आर्य सत्य को प्रथम बार कहा पंचशील का पालन करते हुए अष्टांगिक मार्ग शील, समाधि, प्रज्ञा, का दिया जिससे मानव जाति के दुखों को दूर किया जा सके। अपने संबोधन में मुख्य अतिथि संजीव शाक्य ने बौध्दौ के आभूषण (ध्यान साधना, धम्म अध्ययन, कल्याण मित्रता, अमृतवाणी, मध्यनिषेधता, जीवन की सादगी, धर्म प्रचार कार्य, सद्भावना युक्त सहयोग करना, जैसे कर्म व्यवहार पर विशेष जोर दिया परम पूज्य बोधिसत्व बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने जो भारतीय संविधान दिया है उसके अंतर्गत पूरा-पूरा पंचशील ही शामिल किया गया है भगवान गौतम बुद्ध को विश्व गुरु लाइट ऑफ एशिया के नाम से भी संबोधित किया गया बुद्ध ने सामाजिक समानता के माध्यम से संपूर्ण मानव जाति को बराबर का माना स्त्री तथा पुरुष में बगैर भेदभाव किए हुए बुद्ध ने अपने संघ में स्त्रियों को भी शामिल किया अंत में भन्ते शीलानंद ने बुध और बुध साहित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा की आज के भौतिक युग में बुध का संदेश ही मानव कल्याण की रक्षा कर सकता है जिसकी वैज्ञानिकता जीवन में उतारने पर अत्यंत गुणकारी और लाभकारी साबित हुई हमें बुद्ध के द्वारा दिए गए संदेश को अपने जीवन में उतारना ही चाहिए।