भास्कर समाचार सेवा
मथुरा/नौहझील। श्री झाड़ी हनुमान मंदिर पर चल रहे 31वें वार्षिकोत्सव में जगद्गुरु नाभा द्वाराचार्य सुतीक्षण दास महाराज ने कहा कि झाड़ी वाले हनुमान का प्रांगण सिद्ध स्थल है। इस प्रांगण में प्रवेश करते ही एक अलग प्रकार की अनुभूति होती है। झाड़ी वाले बाबा के दरबार से बह रही ज्ञान गंगा का हम सभी को लाभ उठाना चाहिए। जो लोग इस ज्ञान गंगा में गोते लगाएंगे उनका जीवन निश्चित रूप से मंगलमय होगा।
महाराजश्री ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि उनके शिष्य व मंदिर के महंत राम रतन दास महाराज के नेतृत्व में यह आश्रम उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर अग्रसर है। उन्होंने इस मंदिर से जुड़े हुए सभी भक्तों से कहा कि सनातन धर्म से बढ़कर कुछ नहीं है। घर में अपने बच्चों को प्रतिदिन भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से अवगत कराएं। महाराजश्री के मंदिर आगमन पर महंत राम रतन दास महाराज एवं भक्तों ने उनका पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। बताते चलें कि झाड़ी हनुमान मंदिर सुदामा कुटी वृंदावन की छत्रछाया में ही विगत कई दशकों से यह आश्रम पल्लवित हो रहा है। दिन में राम कथा प्रवचन करते हुए व्यास मनमोहन शरण महाराज ने राम विवाह प्रसंग का वाचन हुआ भगवान राम और लक्ष्मण अपने गुरु ऋषि विश्वामित्र के साथ जनकपुरी में आयोजित सीता स्वयंवर में शामिल होते हैं। स्वयंवर में बड़ी संख्या में अनेक देशों के राजा पहुंचे। सभी ने भगवान शिव का धनुष उठाने के प्रयास किए लेकिन सफल कोई नहीं हो सका।गुरु विश्वामित्र की आज्ञा से भगवान राम इस धनुष को उठाने में सफल हो जाते हैं।धनुष मर्दन से क्रोधित महर्षि परशुराम भी जनकपुर के राजा राज दरबार में पहुंचते हैं। यहां पर राम लक्ष्मण से उनकी वार्तालाप होती है।भगवान राम अपने मधुर वचनों से उनका क्रोध शांत करते हैं। जनक नंदिनी सीता स्वयंबर विजेता श्रीराम को वरमाला डालती हैं। कथा में भगवान राम भरत लक्ष्मण और सदन के प्रश्न का वाचन किया गया।बारात में श्रद्धालु जमकर थिरके। इस प्रकार उन्होंने रामचरितमानस से जुड़े हुए अनेक रहस्यों को बताया। रात्रि में रासाचार्य स्वामी ब्रजमोहन पाठक के रास मंडल द्वारा सुदामा चरित्र लीला देखकर दर्शक भावुक हो उठे। लीला प्रारंभ होने से पहले नित्य रास किया गया जिसका सन्तों ने आनंद लिया। इन दिनों मंदिर परिसर में दूरदराज के आए हुए भक्त पूजा पाठ कर संत सेवा करने में लगे हुए हैं। कथा के उपरांत जगतगुरु नाभा द्वाराचार्य सुतीक्षण दास महाराज व महन्त राम रतन दास महाराज ने व्यासपीठ की आरती उतारी।
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