-तीन उत्पादन नकली पाए गए, पांच अधोमानक मिले हैं, जबकि एक मिस ब्रांड
-थोक और फुटकर दवा विक्रेताओं पर भी है विभाग की पैनी नजर
मथुरा। दवाओं को लेकर आमजन के साथ किसी तरह की कोई धंधली न हो इसको लेकर विभाग बेहद गंभीर है। दवा के थोक और फुटकर विक्रेताओं के यहां लगातार छापेमार कार्रवाही की जा रही है। मेडिकल स्टोर संचालकों की भी टोह ली जा रही है। मानक पूरे न करने वाले मेडिकल संचालकों के खिलाफ सख्त कार्रवाही अमल में लाई गई है। कई मेडिकल स्टोर को पिछले वित्त वर्ष के दौरान की गई कार्रवाही के तहत सीज किया गया है। कई के लाइसेंस निरस्त किए गए। जबकि भारी अनियमिततता पाए जाने पर न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदालत में वाद दायर किए गए गए हैं। जिला औषधि निरीक्षक ने बताया कि जनपद में 2001 मेडिकल स्टोर हैं। जिनमें से 1372 रिटेल के हैं, 617 दवाओं के थोक विक्रेता हैं। 12 प्रधानमंत्री जनऔषधि केन्द्र हैं, इन पर जेनरिक दवाईं उपलब्ध हैं। 11 ब्लड बैंक हैं निजमें सरकारी और निजी क्षेत्र की ब्लड बैंक शामिल हैं। शासनादेश है कि समय समय पर ब्लडबैंक का निरीक्षण किया जाए। इस वित्त वर्ष में भी विभाग की सख्ती बरकरार है। पिछले वित्तीय वर्ष में 100 मेडिकल स्टोर पर निलंबन की कार्रवाही की गई थी। जबकि इसी अवधि में विभाग द्वारा 25 मेडिकल स्टोर के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए थे। दो लाख 25 हजार 472 रूपये की दवाएं जब्त की गईं। चार बिना लाइसंेस मेडिकल स्टोर पर भी कार्रवाही की गई है। छह मेडिकल संचालकों के खिलाफ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मथुरा के यहां अभियोग पंजीकृत कराया गया था। इस दौरान अलग अलग स्थानों से 124 नमूने लिए गए थे, जिसमें काॅमेटिक, वेटरिनरी और मनुष्यों की दवाओं के नमूने थे। जिसमें से 99 की रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। तीन उत्पादन नकली पाए गए। पांच अधोमानक मिले हैं, जबकि एक मिस ब्रांड है। पूरे साल में 12 छापेमार कार्रवाही की गईं तथा इस दौरान चार मेडिकल स्टोर ऐसे भी मिले जो बिना लाइसेंस के ही चल रहे थे। चार मेडिकल स्टोर को सीज किया गया। जबकि तीन की विवेचना अभी चल रही है।
वर्जन
तीन मेडिकल स्टोरों की विवेचन चल रही है। जल्द ही अभियोग पंजीकृत किया जाएगा। अवैध मेडिकल संचालकों के खिलाफ लगातार समय समय पर कार्रवाही की जाती है।
-जिला औषधिक निरीक्षक डा.एके आनंद