
Trump on Greenland : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल करने का संकेत दिया है। इस संदर्भ में उन्होंने एक विशेष दूत भी नियुक्त किया है। हालांकि, डेनमार्क और ग्रीनलैंड ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है। ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री जेन्स फ्रेडरिक नीलसन ने स्पष्ट किया कि यह द्वीप उनके लोगों का है, और कोई भी देश इसे अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का तर्क देकर कब्जा नहीं कर सकता।
क्या है ट्रंप का मकसद?
20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप ने पहली बार कहा था कि ग्रीनलैंड पर कब्जा करना जरूरी है। अब उन्होंने फिर से संकेत दिए हैं कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह जरूरी है। ट्रंप ने ग्रीनलैंड को अमेरिकी प्रशासन का हिस्सा बनाने के लिए लुइसियाना के गवर्नर जेफ लैंड्री को ‘विशेष दूत’ नियुक्त किया है, जो इस मिशन का नेतृत्व करेंगे। उनका यह भी कहना है कि ग्रीनलैंड का भौगोलिक स्थान और खनिज संसाधन अमेरिका के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
ग्रीनलैंड की आबादी लगभग 57,000 है। यह द्वीप 2009 में डेनिश की कॉलोनी से स्वतंत्र घोषित हुआ था, लेकिन आज भी यह डेनिश सब्सिडी पर निर्भर है। यह स्थान यूरोप और उत्तरी अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थल है। यहां मौजूद खनिज संसाधनों को ध्यान में रखते हुए, अमेरिका चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए इस पर कब्जा करना चाहता है। ट्रंप का मानना है कि ग्रीनलैंड में बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम स्थापित करके अमेरिका रूस को करारी टक्कर दे सकता है।
ट्रंप का कहना है कि ग्रीनलैंड के आसपास चीनी और रूसी जहाजों की मौजूदगी चिंता का विषय है। अमेरिका यहां अपना मिसाइल डिफेंस सिस्टम स्थापित कर इन देशों को चुनौती देना चाहता है। ग्रीनलैंड के रणनीतिक स्थान और खनिज भंडार इसे अमेरिका के लिए खास बना देते हैं।
ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री जेन्स फ्रेडरिक नीलसन ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा, “ग्रीनलैंड यहां के लोगों का है, और कोई भी देश इसे खरीदा या कब्जा नहीं कर सकता।” उनका यह भी कहना है कि यह द्वीप स्वायत्त है और इसकी संप्रभुता पूरी तरह से उनके लोगों के हाथ में है।
ग्रीनलैंड की स्थिति और संसाधनों को देखते हुए, अमेरिका इस पर अपनी रणनीतिक योजना बना रहा है। खनिज संसाधनों पर नियंत्रण, सैन्य सुरक्षा और चीन-रूस के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से अमेरिका इस दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
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