दिल्ली : प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम? स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण बिल 2025 विधानसभा में पेश

नई दिल्ली : सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। सोमवार को दिल्ली विधानसभा में स्कूल शिक्षा शुल्क निर्धारण विधेयक 2025 School Education Fee Regulation Bill 2025 पेश किया गया। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने यह बिल प्रस्तुत करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य शिक्षा के बाजारीकरण को रोकना और अभिभावकों को राहत देना है।

बिल के प्रमुख प्रावधान

निजी स्कूल अब हर साल मनमाने तरीके से फीस नहीं बढ़ा सकेंगे।

31 मार्च तक घोषित की गई फीस के अतिरिक्त स्कूल अतिरिक्त शुल्क नहीं ले सकेंगे।

फीस वसूली को लेकर छात्र के उत्पीड़न पर ₹50,000 जुर्माना लगाया जाएगा।

बार-बार नियम तोड़ने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है।

यह कानून सभी प्राइवेट स्कूलों, माइनॉरिटी संस्थानों समेत, पर लागू होगा।

शिक्षा मंत्री का बयान

आशीष सूद ने कहा:

शिक्षा कोई बिक्री योग्य वस्तु नहीं है। यह बिल उन माफियाओं के खिलाफ है जो शिक्षा के नाम पर कारोबार कर रहे हैं। हर साल फीस बढ़ाकर अभिभावकों पर बोझ डालने की परंपरा अब खत्म होगी।

अभिभावक संघ का विरोध, विधानसभा के बाहर प्रदर्शन

हालांकि सरकार इसे अभिभावकों और छात्रों के हित में बता रही है, अभिभावक संघ ने इस बिल का तीखा विरोध किया है। मंगलवार को संघ के सदस्यों ने दिल्ली विधानसभा के बाहर विरोध प्रदर्शन किया।

अधिवक्ता शिखा बग्गा ने बयान जारी कर कहा:

यह बिल वास्तव में अभिभावक विरोधी है। इससे अभिभावकों की आवाज़ दबेगी और प्राइवेट स्कूल माफिया को कानूनी संरक्षण मिलेगा।

अभिभावकों की आपत्तियां

  1. शिकायत दर्ज करने के लिए 15% अभिभावकों का समर्थन जरूरी जो व्यावहारिक नहीं।
  2. बिल स्कूलों को नई श्रेणियों के नाम पर फीस वसूली का अधिकार देता है।
  3. पूर्व में अवैध रूप से ली गई फीस को कानूनी वैधता दी जा रही है।
  4. स्कूल खातों के ऑडिट पर प्रभाव पड़ेगा।
  5. सिविल कोर्ट में अपील का विकल्प खत्म किया जा रहा है, जिससे अभिभावकों के पास कानूनी रास्ते सीमित हो जाएंगे।

अब आगे क्या

बिल को लेकर सरकार और अभिभावक संघ आमने-सामने हैं। जहां सरकार इसे शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता लाने की दिशा में कदम बता रही है, वहीं पेरेंट्स इसे निजी स्कूलों को संरक्षण देने वाला बिल मान रहे हैं। अब देखना यह होगा कि इस बिल को विधानसभा में मंजूरी मिलती है या नहीं, और अगर मिलती है, तो इसके लागू होने के बाद ज़मीनी असर क्या होता है।

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