
New Delhi : दिल्ली के युवा और जोश से भरे राइडर निखिल बोथरा ने अपने जुनून, साहस और देशप्रेम से एक ऐसा इतिहास रचा है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा।
राजस्थान के सरदाशहर में जन्मे, बेंगलुरु में पले-बढ़े और शिक्षित हुए, तथा वर्तमान में दिल्ली में रह रहे निखिल ने हाल ही में भारत की सीमा रेखा (borderline) को छूते हुए एक ऐतिहासिक मोटरसाइकिल यात्रा पूरी की है।
यह यात्रा केवल एक साहसिक अभियान नहीं, बल्कि भारत की एकता, विविधता और सांस्कृतिक समृद्धि को नमन करने का माध्यम थी।
तीन महीने, हजारों किलोमीटर और एक सपने की पूर्ति
निखिल बोथरा ने अपनी यह अद्भुत यात्रा 10 अगस्त 2025 को दिल्ली से शुरू की और 7 नवंबर 2025 को दिल्ली में ही समाप्त की।
करीब तीन महीने तक चली इस यात्रा में उन्होंने देश की सीमाओं को छूते हुए भारत का चक्कर लगाया
उत्तर की बर्फ़ीली चोटियों से लेकर दक्षिण के समुद्री तटों तक,
पश्चिम के रेगिस्तानों से लेकर पूर्वोत्तर के हरियाले जंगलों तक।
हर मोड़ पर, हर किलोमीटर पर उन्होंने अपने देश की मिट्टी, लोगों और संस्कृति को महसूस किया।

सिर्फ बाइक राइड नहीं, यह थी देश के प्रति श्रद्धा की यात्रा
निखिल का यह सफर किसी प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं था।
यह एक देशभक्ति और आत्मिक अनुभूति की यात्रा थी।
उन्होंने इस यात्रा में चार धाम, 12 ज्योतिर्लिंग, और देश की सभी 28 राजधानियों को शामिल किया जो अपने आप में एक अनोखा रिकॉर्ड है।
निखिल कहते हैं
“यह केवल एक बाइक राइड नहीं थी, यह मेरे देश के प्रति सम्मान और समर्पण की यात्रा थी।
जब आप भारत की सीमाओं को छूते हुए यात्रा करते हैं, तो आप समझते हैं कि यह देश कितना विशाल, विविध और सुंदर है।”
पुरस्कारों से लेकर प्रेरणा तक निखिल की उपलब्धियों का सफर
निखिल बोथरा की यह उपलब्धि कोई एक दिन की नहीं है।
उन्होंने वर्षों की मेहनत और जुनून से यह मुकाम हासिल किया है।
साल 2017 में, उन्होंने अपने साहसिक कार्य के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया था
यह उनके राइडिंग करियर की पहली बड़ी पहचान थी।
इसके बाद 2023 में, उन्होंने जयपुर में आयोजित बाइक राइडिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और सर्टिफिकेट ऑफ अचीवमेंट हासिल किया।
उसी वर्ष उन्होंने असम के नवगांव जिले के पुलिस अधीक्षक के साथ मिलकर पूरा असम बाइक से पार किया यह यात्रा पूर्वोत्तर में अनुशासन और जागरूकता का प्रतीक बनी।
सीमा रेखा पर चली वो ऐतिहासिक राइड
“इंडिया बॉर्डरलाइन राइड” नामक यह यात्रा निखिल के साहस और संकल्प का प्रमाण है।
उन्होंने कठिन मौसम, ऊबड़-खाबड़ रास्तों और अज्ञात चुनौतियों के बीच भी कदम नहीं रोके।
कभी बर्फ़ीली हवाओं में, कभी तपती धूप में, कभी मूसलाधार बारिश में
निखिल ने अपने मिशन को पूरा करने के लिए दिन-रात मेहनत की।
वो कहते हैं
“भारत की सीमाओं पर चलते हुए मुझे यह अहसास हुआ कि यह देश केवल नक्शे पर नहीं,
बल्कि हर मुस्कुराते चेहरे और हर हाथ की मेहनत में बसा है।”
दिल्ली से उठी आवाज़, जो पूरे भारत में गूंजी
आज निखिल बोथरा दिल्ली में रहते हुए देशभर के युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं।
उनका मानना है कि यात्रा केवल मीलों का सफर नहीं होती, यह आत्मा से जुड़ने का अनुभव होती है।
उन्होंने अपनी राइड के दौरान रोड सेफ्टी, पर्यावरण संरक्षण और युवा सशक्तिकरण जैसे संदेशों को भी बढ़ावा दिया।
हर पड़ाव पर उन्होंने स्थानीय लोगों से संवाद किया, उनकी संस्कृति को समझा और साझा किया।
नई पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत
आज निखिल बोथरा युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं।
वो मानते हैं कि भारत को जानने का सबसे सुंदर तरीका उसकी सड़कों से होकर गुजरना है
जहाँ हर भाषा, हर संस्कृति और हर धड़कन भारत की आत्मा को दर्शाती है।
उनकी यह यात्रा सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं,
बल्कि यह संदेश है कि अगर सपने देश को जोड़ने के हों, तो रास्ते खुद दिशा दिखा देते हैं।
“जब सपना भारत को जोड़ने का हो,” निखिल मुस्कुराते हुए कहते हैं,
“तो रास्ते खुद अपना नक्शा बना लेते हैं।”
निखिल बोथरा जुनून, देशभक्ति और दृढ़ता का प्रतीक
राजस्थान की मिट्टी में जन्मे, बेंगलुरु में पले-बढ़े और दिल्ली में बसे निखिल बोथरा आज पूरे भारत के लिए गर्व का नाम हैं।
उनकी India Borderline Ride केवल एक यात्रा नहीं,
बल्कि यह संदेश है कि एकता भाषाओं या सीमाओं से नहीं,
बल्कि दिलों और अनुभवों से बनती है।
निखिल बोथरा की कहानी यह साबित करती है कि
जब इरादा मजबूत हो और उद्देश्य पवित्र हो, तो सीमाएँ भी सिर झुका देती हैं।















