
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने सराय काले खां बस अड्डे से छह महीने के मासूम की चोरी की गुत्थी सुलझाते हुए एक ऐसे संगठित गिरोह का पर्दाफाश किया, जो देश के कई राज्यों में बच्चों की तस्करी कर चुका है। पुलिस टीम ने उन बच्चों को भी बरामद करने प्रयास करेगी, जिनकी तस्करी की गई है,
बता दें कि सराय काले खां से 6 महीने का बच्चा अचानक लापता हो गया था, जिसके बाद बनी पुलिस की एक विशेष टीम तकनीकी जांच व सीसीटीवी खंगालकर आरोपियों तक पहुंच गई, जिसके बाद पुलिस टीम ने फतेहाबाद से शुरू हुई गिरफ्तारी की कड़ी आगरा और राजस्थान तक जा पहुंच गई, जहां डॉक्टरों, बिचौलियों व एजेंटों का बड़ा नेटवर्क सामने आया था।
पुलिस का कहना है कि गिरोह हैदराबाद, चेन्नई समेत अन्य राज्यों में भी सक्रिय है, कई और मासूमों को उनके चंगुल से छुड़ाए जाने की संभावना है। दक्षिण-पूर्व जिला पुलिस उपायुक्त हेमंत तिवारी ने बताया कि 22 अगस्त को यूपी के बांदा निवासी सुरेश नामक मजदूर अपने परिवार के साथ सराय काले खां बस अड्डे पर रुका हुआ था। देर रात करीब 11 बजे जब पूरा परिवार प्लेटफार्म नंबर 2 पर सो रहा था। इस दौरान उसका 6 महीने का बच्चा अचानक गायब हो गया। परिवार ने तुरंत थाना सनलाइट कॉलोनी में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष टीम गठित की गई। उपायुक्त हेमंत तिवारी ने बताया कि इंस्पेक्टर राजेंद्र डागर के नेतृत्व में बनी टीम ने सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई, लेकिन साफ फुटेज नहीं मिल पाई थी, इसके बाद डंप डेटा निकाला गया, जिसमें कुछ संदिग्ध मोबाइल नंबर मिल गए थे, साथ ही तकनीकी निगरानी के आधार पर आरोपी वीरभान की पहचान कर उसे फतेहबाद से गिरफ्तार कर लिया गया, उसकी निशानदेही पर उसके ससुर कालीचरण व मास्टरमाइंड रामबाबू तक पहुंचा गया। जांच में खुलासा हुआ कि अपहृत बच्चा आगरा के के.के अस्पताल में डॉ. कमलेश को बेचा गया है।
इसके लिए कमलेश ने तीनों को 50- 50 हजार रुपए दिए थे। इंस्पेक्टर राजेंद्र डागर हार्ट पेशेंट बनकर के.के अस्पताल में पहुंचे, इस साहसिक ऑपरेशन के जरिए डॉक्टर कमलेश को रंगेहाथ दबोच लिया गया। आरोपी कमलेश ने कबूला है कि बच्चा पहले एक बिचौलिए सुंदर के हाथ बेचा जा चुका है। पुलिस टीम ने राजस्थान की तक उसका पीछा कर आरोपी को धर दबोच लिया गया, साथ ही सुंदर की जानकारी पर कृष्णा और प्रीति शर्मा को गिरफ्तार किया गया है, जिनके घर से मासूम को सकुशल बरामद कर लिया गया। दोनों डॉक्टर सगी बहनें है। उपायुक्त तिवारी ने बताया कि पूछताछ में गिरोह के कई और चेहरे बेनकाब हुए हैं। आगरा से चार और नैनीताल से एक बच्चे को बरामद किया गया है, साथ ही पुलिस ने रितु, ज्योत्सना, रुबीना उर्फ रचिता और निखिल को भी गिरफ्तार किया है। गिरोह संगठित तरीके से बच्चों को अगवा कर विभिन्न परिवारों को बेचता था। कई बच्चों को 10 दिन से लेकर 6 महीने की उम्र में बेचा गया था। सभी बच्चों की उम्र 1 साल से कम है। इनमें से 1 बच्चा दिल्ली के सराय काले खां से चोरी हुआ था। बाकी के अन्य बच्चे वो हैं, जो अनवांटेड डिलीवरी के हैं। गिरफ्तार 10 आरोपियों में यूपी व दिल्ली-एनसीआर के लोग शामिल हैं, जिनमें अस्पताल का मालिक, बिचौलिए, पति-पत्नी व महिला एजेंट भी हैं। इनमें से कुछ पर पहले से ही तस्करी व भ्रूण लिंग परीक्षण जैसे गंभीर अपराधों के केस दर्ज हैं। फिलहाल आरोपी वीरभान, कालीचरण, प्रीति शर्मा व ज्योत्सना को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि सुंदर, कमलेश, रितु, कृष्णा शर्मा व रुबीना अग्रवाल पुलिस हिरासत में हैं। पुलिस का मानना है कि गिरोह से जुड़े कई लोग अभी फरार हैं। पुलिस टीम उन आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है। उपायुक्त ने बताया कि यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है, जिसमें एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश हुआ है।
पुलिस ने न केवल अपहृत बच्चे को सुरक्षित बरामद किए, बल्कि कई अन्य मासूमों को भी तस्करों के चंगुल से बचाया है, उन्होंने कहा कि अभी गिरोह के बारे में आगे भी जांच जारी रहेगी। इस गिरोह के लोगों ने हैदराबाद, चेन्नई समेत देश के कई राज्यों में बच्चों की तस्करी की है। गिरोह के लोग फर्जी दस्तावेज बनाते थे कि जो बच्चे ले रहे हैं, साथ ही सरकारी नियमों के तहत बच्चे को गोद ले रहे हैं, लेकिन बच्चों को 5 से 7 लाख रुपये में बेचा जा रहा था।