
नई दिल्ली। दिल्ली के पुलिस थानों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये गवाही देने के अनुमति देने के दिल्ली के उप-राज्यपाल (एलजी) के नोटिफिकेशन के खिलाफ वकीलों की ओर से न्यायिक बहिष्कार आज भी जारी है। आज दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में पुलिस वालों और सरकारी वकीलों को कोर्ट में प्रवेश करने से रोक दिया गया। दिल्ली के वकीलों की ओर से न्यायिक बहिष्कार का आज तीसरा दिन है।
कड़कड़डूमा कोर्ट की शाहदरा बार एसोसिएशन के सेक्रेटरी नरवीर डबास बता रहे थे कि अगर पुलिस थानों में गवाही होने लगेगी तो न्याय दुर्लभ हो जाएगा। ये पक्षकार और वकील, दोनों में से किसी के हित में नहीं है।
दिल्ली की निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस के आह्वान पर 22 अगस्त से वकील न्यायिक कार्यों का बहिष्कार कर रहे हैं। अब वकीलों ने सड़कों पर प्रदर्शन करने और उप-राज्यपाल के दफ्तर का घेराव करने की योजना भी बना रहे हैं।
दिल्ली के वकीलों की मांग का उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन और दिल्ली उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने भी समर्थन किया है। 23 अगस्त को दोनों संगठनों ने उप-राज्यपाल के नोटिफिकेशन को वापस लेने की मांग की। उच्चतम न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय की बार एसोसिएशंस ने अलग-अलग नोटिस जारी कर ये मांग की।
इस हड़ताल का आह्वान दिल्ली की निचली अदालतों के सभी बार एसोसिएशंस के संगठन कोआर्डिनेशन कमेटी ऑफ ऑल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशंस ने किया है। कोआर्डिनेशन कमेटी ने कहा कि दिल्ली के उप-राज्यपाल ने 13 अगस्त को एक नोटिफिकेशन जारी कर पुलिस थानों से पुलिसकर्मियों के बयान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दर्ज करने की अनुमति दी थी। इसके लिए कुछ स्थान तय किए गए हैं। उप-राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ कोआर्डिनेशन कमेटी ने 20 अगस्त को दिल्ली के उप-राज्यपाल, केंद्रीय गृह मंत्री, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपना विरोध जताया था। कोआर्डिनेशन कमेटी के मुताबिक उप-राज्यपाल का नोटिफिकेशन केंद्रीय गृह सचिव के 15 जुलाई 2024 के सर्कुलर के विपरीत है। केंद्रीय गृह सचिव के सर्कुलर में पुलिस थानों में किसी भी किस्म की गवाही से इनकार किया गया था।
कोआर्डिनेशन कमेटी ने 20 अगस्त को लिखे पत्र में कहा था कि उप-राज्यपाल के इस नोटिफिकेशन को 48 घंटों के अंदर वापस लिया जाए। लेकिन दो दिनों के बावजूद इस पत्र पर विचार नहीं किया गया। उसके बाद कोआर्डिनेशन कमेटी ने 21 अगस्त को आपात बैठक कर दिल्ली की सभी जिला अदालतों में 22 और 23 अगस्त को न्यायिक कार्यों के बहिष्कार का फैसला किया था। जब उप-राज्यपाल और गृह मंत्रालय की ओर से कोई सकारात्मक उत्तर नहीं आया तो कोआर्डिनेशन कमेटी ने 25 अगस्त को भी हड़ताल जारी रखने का फैसला किया।
यह भी पढ़ें: हरदोई : बाइक-ट्रैक्टर टक्कर में पिता-पुत्री की मौत, युवक गंभीर रूप से घायल