
नई दिल्ली। दिल्ली में लाल किले के पास हुए विस्फोट मामले की जांच तेज हो गई है। घटना के बाद फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) की टीम लगातार ब्लास्ट साइट पर मौजूद रहकर सबूत और सैंपल जुटाने में लगी हुई है, अब तक 40 से ज्यादा नमूने इकट्ठे हो चुके। एफएसएल टीम को घटनास्थल से दो जिंदा कारतूस भी मिले हैं, जिनकी जांच शुरू कर दी गई है।
जांच अधिकारियों के अनुसार, यह भी संभावना जताई जा रही है कि ये कारतूस वहां मौजूद किसी पुलिसकर्मी के हथियार से गलती से गिर गए हों, जब वे घायलों की मदद कर रहे थे। अगर ऐसा नहीं पाया गया, तो इन कारतूसों की उत्पत्ति और उद्देश्य को लेकर अलग से जांच की जाएगी।
दो तरह के विस्फोटक के मिले सैंपल
एफएसएल टीम को घटनास्थल से दो प्रकार के विस्फोटक पदार्थों के नमूने मिले हैं। पहला सैंपल अमोनियम नाइट्रेट जैसा बताया जा रहा है, जबकि दूसरा सैंपल इससे कहीं अधिक घातक विस्फोटक का हो सकता है। दोनों सैंपल्स को विस्तृत जांच के लिए फॉरेंसिक लैब भेजा गया है।
अधिकारियों के मुताबिक, लैब रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि धमाके में किस विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया था।
मलबा हटाने और सबूत जुटाने का काम जारी
धमाके के करीब 24 घंटे बाद घटनास्थल पर पड़े कुछ मलबों को हटाया गया है। मलबा हटाने की प्रक्रिया एफएसएल टीम द्वारा सैंपल इकट्ठा करने के बाद शुरू की गई ताकि कोई अहम सबूत न छूटे।
सूत्रों के मुताबिक, ब्लास्ट में इस्तेमाल की गई हुंडई i20 कार के अवशेषों को भी फॉरेंसिक लैब भेजा गया है, जहां उनकी गहन वैज्ञानिक जांच की जा रही है।
माना जा रहा है कि फरीदाबाद मॉड्यूल के साथी गिरफ्तार होने के बाद घबराए डॉक्टर उमर ने पैनिक में आकर खुद ही ब्लास्ट कर दिया। सूत्रों के अनुसार, उमर अपने आकाओं के आदेश का इंतजार कर रहा था, लेकिन दबाव में आकर उसने खुद विस्फोट करने का कदम उठाया।
विस्फोट के दौरान क्षतिग्रस्त हुए कुछ वाहन अभी भी सड़क पर पड़े हुए हैं, जिन्हें हटाने की प्रक्रिया जारी है। फिलहाल एफएसएल की टीम इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ब्लास्ट में किस विस्फोटक और किस तकनीक का उपयोग किया गया था।















