
झाँसी। स्वास्थ्य विभाग की अव्यवस्था और एंबुलेंस सेवा की लचर व्यवस्था के चलते झाँसी में एक मरीज ने अस्पताल में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। दो घंटे तक एंबुलेंस सुविधा न मिलने से मरीज की मौत हो गई, जबकि अस्पताल परिसर में दो एंबुलेंस खड़ी थीं। इस लापरवाही से आक्रोशित परिजनों ने हंगामा कर दिया, जिसके बाद पुलिस को मौके पर पहुंचकर स्थिति संभालनी पड़ी।
मामला मोंठ कोतवाली क्षेत्र के ट्रॉमा सेंटर का है, जहां बम्हरौली गाँव नई बस्ती निवासी वीरेन्द्र को गंभीर हालत में उनके परिजन मोठ के इमरजेंसी अस्पताल लेकर पहुंचे, वीरेंद्र को पेट में तेज दर्द समस्या थी। डॉक्टरों ने जांच के बाद उनकी हालत को गंभीर मानते हुए झाँसी अस्पताल रेफर कर दिया।
परिजनों ने तुरंत 108 एंबुलेंस सेवा पर कॉल किया, लेकिन उन्हें दो घंटे तक कोई सुविधा नहीं मिल पाई। इस दौरान अस्पताल परिसर में ही दो एंबुलेंस खड़ी थीं, फिर भी मरीज को झाँसी ले जाने के लिए कोई मदद नहीं मिली। परिजनों का आरोप है कि कॉल करने पर उन्हें झाँसी व अन्य स्थानों से एंबुलेंस भेजने की बात कही गई, लेकिन कोई एंबुलेंस नहीं आई।
परिजनों का कहना है कि अगर समय पर एंबुलेंस मिल जाती, तो वीरेंद्र की जान बचाई जा सकती थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अव्यवस्था के कारण उन्हें दो घंटे तक तड़पते हुए अपनी जान गंवानी पड़ी। इस घटना से गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में इस लचर व्यवस्था विरोध किया। सूचना मिलने पर मोंठ कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और किसी तरह मामले को शांत कराया।
इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन दावा करता है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार हो रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। अगर अस्पताल परिसर में एंबुलेंस खड़ी थी, तो मरीज को समय पर मदद क्यों नहीं मिली?
इस घटना के बाद परिजन प्रशासन से जवाब मांग रहे हैं और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है या फिर यह भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा।