
देहरादून: उत्तराखंड में पंचायत चुनाव के बाद सियासी बयानबाज़ी तेज़ हो गई है। पंचायतों के अध्यक्ष पद को लेकर अनन्तिम आरक्षण सूची जारी होने के बाद कांग्रेस ने भाजपा पर “साम, दाम, दंड, भेद” की नीति अपनाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने आरक्षण प्रक्रिया में मनमानी की है और सत्ता के दम पर लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की है।
कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि भाजपा ने आरक्षण की सूची को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए धनबल और सरकारी तंत्र का दुरुपयोग किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि आरक्षण को लेकर जो प्रक्रिया अपनाई गई है, वह पारदर्शी नहीं है और इसमें जनभावनाओं की अनदेखी की गई है।
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “उत्तराखंड की जनता ने भाजपा को लोकसभा, विधानसभा, नगर निगम और अब नगर पंचायत में भी भरपूर समर्थन दिया है। आरक्षण प्रक्रिया पूरी तरह से विधि सम्मत है। कानून सबके लिए समान है। किसी को यदि आपत्ति है तो वह वैधानिक रूप से आपत्ति दर्ज कर सकता है। विपक्ष अपनी स्थिति को लेकर भ्रमित और भौखलाया हुआ है।”
गौरतलब है कि पंचायत चुनाव में इस बार 128 निर्दलीय उम्मीदवार जीतकर आए हैं, जिनकी भूमिका अब सत्ता संतुलन में निर्णायक मानी जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बिना निर्दलीयों के कोई भी बोर्ड बनाना अब संभव नहीं है।
फिलहाल, पंचायत चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, और आरक्षण सूची ने इस बहस को और तेज कर दिया है।
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