
देहरादून। मेट्रो रेल का सपना देखने के लगभग आठ साल हो चुके हैं, लेकिन इस परियोजना का वास्तविक रूप ले पाना अभी भी टला हुआ है। अब तक इस पर 80 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं, लेकिन मेट्रो के संचालन की दिशा में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। ऐसे में उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन ने नियो मेट्रो के साथ-साथ इसके फीडर लाइन (पाड टैक्सी) के योजना के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) बनाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया है।
फीडर लाइन का उद्देश्य मेट्रो स्टेशन तक यात्रियों को पहुंचाना और वापसी के लिए सेवा प्रदान करना है। प्रस्तावित रूट में क्लेमेनटाउन से बल्लीवाला, गांधी पार्क से आइटी पार्क और पंडितवाड़ी से रेलवे स्टेशन के बीच पाड टैक्सी का संचालन किया जाना है। हालांकि, यह प्रश्न फिर उठता है कि जब नियो मेट्रो का भविष्य अनिश्चित है, तो फीडर लाइन के लिए प्रयास करना किसकी योजना का हिस्सा है।
मेट्रो के विकास की प्रक्रिया में पिछले वर्षों में कई बदलाव और संशोधन हुए हैं, और दिसंबर 2021 में इसकी डीपीआर को कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। तब से लेकर अब तक, इस परियोजना का भविष्य विभिन्न फाइलों में ही कैद हो गया है, और अधिकारी भी इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं।
इस परियोजना की लागत पहले 1852 करोड़ रुपए के करीब थी, जो अब बढ़कर 2303 करोड़ रुपए हो चुकी है। लागत में इस बढ़ोतरी का मुख्य कारण परियोजना की लंबी देरी और संबंधित खर्चों में वृद्धि है।
इस सब दृश्य में, उत्तराखंड मेट्रो रेल कारपोरेशन में कई उच्च अधिकारियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, जिससे निर्णय लेने की प्रक्रिया और भी बाधित हो सकती है।
कुल मिलाकर, देहरादून में मेट्रो और उसके फीडर लाइन की योजनाएं भविष्य में एक बड़ा सवाल बनकर सामने आ रही हैं।