राष्ट्र के लिए जीवन समर्पित करना भी योग: डॉ जेपी सिंह

-राष्ट्रीयता एवं योग( श्री अरविंद के आलोक में)

-मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन ही योग है

पडरौना, कुशीनगर। योग का साध्य राष्ट्रीयता है। योग महज साधन है। यह सम्भव तभी संभव है ,जब प्रत्येक कर्म में समर्पण हो और परम सत्ता के अस्तित्व को मन व बुद्धि से स्वीकार्य हो। राष्ट्र के लिए जीवन को समर्पित करना ही योग है। यानी राष्ट्रीयता का भाव बिना योग के अपूर्ण है।
इस आशय के विचार श्री अरविंदो सोसायटी, पडरौना शाखा के तत्वावधान में स्वाधीनता दिवस व श्री अरविंद के जन्मदिवस को यूएन पीजी कालेज, पडरौना के पुस्तकालय सभागार में आयोजित राष्ट्रीयता एवं योग ( श्री अरविंद के आलोक में) विषयक व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि केंद्रीय प्रतिनिधि डॉ जे पी सिंह ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा श्री भारत की गुलामी के दौर में श्री अरविंद का 15 अगस्त 1872 को जन्म हुआ था। तत्कालीन परिस्थितयों से प्रभावित होकर वह स्वाधीनता सेनानी हो गए। किंतु कालांतर में उन्होंने राष्ट्र के कल्याण के लिए योग को अपने जीवन में अंगीकार किया।

योग का वर्तमान स्वरूप जो 21 जून को पूरी दुनिया मे मनाया जाता है, वह बाह्य आवरण है। श्री अरविंद का योग साधना की चरम परिणति है। डॉ सिंह ने कहा कि श्री अरविंद कोई ज्योतिषी या भविष्यवक्ता नहीं थे, वरन युगद्रष्टा थे। वर्ष 1909 में श्री अरविंद के गुरु विष्णु भास्कर दवे ने कहा था कि भारत स्वतंत्र हो चुका है। श्री अरविंद ने भारत आध्यात्मिक देश है। जो इस ओर अग्रसर भी है। यह योग से ही सम्भव है। उन्होंने कहा कि अपने स्वरूप में अवस्थित होना ही योग है। समग्र योग भगवतगीता का सार है। किसी में आसक्त न होना भी योग ही है। मन को समता के भाव में रखते हुए कर्म को संपादित करना योग है। दुख के संयोग के वियोग को भी योग ही कहा गया है। भगवतगीता कर्म योग, ज्ञान योग व भक्ति योग का समुच्चय है। श्री अरविंद ने आजादी से बहुत पहले ही कह दिया था कि एक वक्त आएगा जब विश्व का भविष्य पर निर्भर होगा। ऐसा हर कर्तव्य जो ईश्वर को समर्पित ही यही योग का राष्ट्रीय स्वरूप है। इतना ही नहीं सारा जीवन ही योग है। उन्होंने कहा कि सिर्फ मन व बुद्धि से विश्व मे परिवर्तन नहीं हो सकता। इस हेतु योग को राष्ट्र के लिए समर्पित करना होगा। इसके लिए मन का शुद्धिकरण अनिवार्य है। राष्ट्र के लिए जीवन को समर्पित करना भी योग ही है। अरविंदो सोसायटी के पडरौना शाखा के सचिव राज्यसभा सांसद कुंवर आरपीएन सिंह ने कहा कि योग हेतु जिस समर्पण की चर्चा केंद्रीय प्रतिनिधि डॉ जेपी सिंह ने की है उसमें यह स्वीकार करना होगा कि हम जो कुछ कर रहे हैं , उसे परम् सत्ता देख रही है। भले ही यह एक दिन , एक वर्ष में न होगा, पर निरंतरता रहेगी तो श्री अरविंद के बताए मार्ग को जीवन में अंगीकार किया जा सकता है।

व्याख्यानमाला के पूर्व श्री अरविंदो सोसायटी की पडरौना शाखा की अध्यक्ष कुंवरानी मोहिनी देवी द्वारा श्री अरविंद के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किया गया। व्याख्यान का संचालन करते हुए प्रसिद्ध अधिवक्ता आर के सिंह ने कहा कि श्री अरविंद का जीवन योग व साधना के चरमस्थिति का द्योतक है। तभी तो 15 अगस्त 1872 को उनका जन्म हुआ और बाद में 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। यह महज संयोग नहीं, खगोलीय परिवर्तन का परिणाम है, जो श्री अरविंद के जीवन को ईश्वर की सत्ता से जोड़ता है। इस दौरान कुंवर अनिल प्रताप सिंह, कुंवरानी सरिता देवी, प्रमुख व्यवसायी दीप नारायण अग्रवाल, रामसूरत सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष दुर्गेश राय, जिला प्रचारक अभय जी ,सदर विधायक मनीष जायसवाल,पूर्व नगर पालिका अध्यक्षा शिव कुमारी देवी, डॉ विपिन विहारी चौबे, भाजपा पूर्व जिलाध्यक्ष लल्लन मिश्र, डॉ राजीव मिश्र, यूएनपीजी कालेज की प्राचार्य डॉ ममता मणि त्रिपाठी, हनुमान इंटर कालेज के प्रधानाचार्य शैलेन्द्र दत्त शुक्ल, जगदंबा अग्रवाल, शमशेर मल्ल,पूर्व कार्यालयधीक्षक आसमान सिंह, याई के शुक्ल , आनंद सिंह , रवि कीर्ति , ब्लाक प्रमुख विशुनपुरा विंध्यवासिनी श्रीवास्तव , प्रधानाचार्य अरविंद सिंह , जयप्रकाश मल्ल, देवब्रत सिंह , डा विकास गुप्त , डा संजय जायसवाल , ऋषभ सिंह आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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