
नई दिल्ली : पाकिस्तान की आर्थिक अस्थिरता के बीच उसे मिलने वाली अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की वित्तीय मदद एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। शुक्रवार, 9 मई को होने वाली IMF की बोर्ड बैठक में पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर के नए लोन की मंजूरी पर चर्चा होगी। इस अहम बैठक में भारत के कार्यकारी निदेशक देश का रुख स्पष्ट रूप से रखेंगे।
IMF बोर्ड में भारत रखेगा कड़ा पक्ष
एक संवाददाता सम्मेलन में जब विदेश सचिव विक्रम मिसरी से भारत के रुख के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा,
“आईएमएफ में हमारे एक कार्यकारी निदेशक हैं। शुक्रवार को बोर्ड की बैठक है और मुझे विश्वास है कि वे भारत की स्थिति को तथ्यों के आधार पर मजबूती से सामने रखेंगे।”
मिसरी ने यह भी जोड़ा कि,
“आईएमएफ बोर्ड को यह देखना होगा कि पाकिस्तान जैसे देश को लगातार मदद देने के बावजूद परिणाम क्या रहे हैं। पिछले तीन दशकों में कई बार बेलआउट दिया गया, लेकिन कितने कार्यक्रम वास्तव में सफल रहे हैं – शायद बहुत कम।”
पाकिस्तान को अब तक कितनी मदद मिली?
- 2023 में IMF ने पाकिस्तान को 7 बिलियन डॉलर का बेलआउट दिया।
- मार्च 2024 में पाकिस्तान को 1.3 बिलियन डॉलर का अतिरिक्त “जलवायु लचीलापन लोन” दिया गया।
- 2024 का IMF कार्यक्रम पाकिस्तान का 24वां कार्यक्रम था, जो दर्शाता है कि पाकिस्तान बार-बार वित्तीय संकट में फंसता रहा है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर खतरा
भारत का यह रुख तब आया है जब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चरमरा चुकी है, और विदेशी मुद्रा भंडार लगातार गिर रहा है। IMF से मिलने वाली मदद अगर रोकी जाती है, तो पाकिस्तान को गंभीर झटका लग सकता है, जिससे उसका बाहरी कर्ज चुकाना और महंगाई नियंत्रण में लाना और भी मुश्किल हो जाएगा।
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बोर्ड को ‘गहराई से सोचने’ की सलाह
विक्रम मिसरी ने स्पष्ट किया कि निर्णय बोर्ड का होता है, लेकिन यह भावनाओं से नहीं, तथ्यों पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा,
“जो देश बार-बार बचाव की गुहार लगाते हैं, उनके पीछे की सच्चाई उन देशों के सामने साफ होनी चाहिए जो हर बार अपनी जेब खोलते हैं।”