राजनीतिक बयान से उठी बहस…हाइड्रोजन बम क्या है और क्यों माना जाता है सबसे खतरनाक?

नई दिल्ली । लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी द्वारा हाल ही में ‘वोट चोरी पर हाइड्रोजन बम फोड़ने’ जैसी राजनीतिक टिप्पणी के बाद, यहां विषय बन गया है………आखिर हाइड्रोजन बम होता क्या है और यह कितना विनाशकारी है? लेकिन असल में हाइड्रोजन बम दुनिया के सबसे घातक हथियारों में से एक है।
दरअसल हाइड्रोजन बम, इस थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहते है, परमाणु बम से सैकड़ों गुना अधिक शक्तिशाली होता है। इसका विस्फोट लाखों लोगों की जान ले सकता है। यह ऊर्जा फ्यूजन प्रक्रिया से उत्पन्न करता है, जिसमें हाइड्रोजन के आइसोटोप्स-ड्यूटेरियम और ट्रिटियम-के संलयन से अत्यधिक गर्मी और शक्ति निकलती है। पहले इसमें एक छोटा परमाणु विस्फोट किया जाता है, जो इतनी गर्मी पैदा करता है कि हाइड्रोजन का फ्यूजन शुरू हो सके।

हाइड्रोजन बम की ताकत टन या मेगाटन टीएनटी में मापी जाती है। उदाहरण के तौर पर 1 मेगाटन का विस्फोट 10 लाख टन टीएनटी के बराबर होता है। तुलना के अनुसार हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम की ताकत केवल 15 किलोटन थी, यानी हाइड्रोजन बम सैकड़ों गुना अधिक विनाशकारी है।

अब तक सिर्फ कुछ देशों ने हाइड्रोजन बम बनाने या टेस्ट करने की पुष्टि की है। इसमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन शामिल हैं। अमेरिका ने पहला हाइड्रोजन बम 1952 में टेस्ट किया था। रूस ने 1953 में परीक्षण किया और 1961 में उसका ‘त्सार बोम्बा’ 50 मेगाटन का था, जिसे अब तक का सबसे शक्तिशाली विस्फोट माना जाता है। इसके बाद ब्रिटेन (1957), चीन (1967) और फ्रांस (1968) ने भी अपने परीक्षण किए। उत्तर कोरिया ने 2017 में हाइड्रोजन बम टेस्ट करने का दावा किया, हालांकि विशेषज्ञों में इस पर मतभेद हैं। वहीं भारत ने 1998 के ‘ऑपरेशन शक्ति’ में थर्मोन्यूक्लियर डिवाइस टेस्ट करने का दावा किया था, मगर कुछ विशेषज्ञ इस परिक्षण को पूर्ण हाइड्रोजन बम नहीं मानते।

एक 1 मेगाटन हाइड्रोजन बम करीब 10 से 15 किलोमीटर तक के क्षेत्र को पूरी तरह नष्ट कर सकता है। इससे निकलने वाली गर्मी हजारों डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाती है, जिससे इंसान, इमारतें और वाहन पलभर में जल जाते हैं। विस्फोट से उठने वाली शॉकवेव इमारतों को उड़ा देती है, जबकि रेडिएशन वर्षों तक कैंसर और अन्य बीमारियां फैलाता है

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