सीमा पार से आई मौत? जैसलमेर में मिले पाक हिंदू युवक और किशोरी के शव ने मचाई सनसनी

जैसलमेर के साधेवाला इलाके में भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक रेतीले टीलों पर दो शव मिलने से सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मच गई है. एक शव युवक का है और दूसरा एक नाबालिग लड़की का. दोनों की जेबों से पाकिस्तानी सिम कार्ड और आईडी मिले हैं, जिससे यह लगभग स्पष्ट है कि वे पाकिस्तान से अवैध रूप से भारत में दाखिल हुए थे. दोनों के नाम रवि कुमार और शांति बाई थे. लेकिन यह यात्रा कैसे हुई और क्यों हुई. ये सवाल अब जांच के केंद्र में हैं. 

पुलिस की शुरुआती जांच में शव 4-5 दिन पुराने बताए जा रहे हैं. आशंका जताई जा रही है कि युवक और युवती ने हाल ही में भारत में प्रवेश किया होगा, लेकिन रास्ता कठिन होने के कारण वे रेगिस्तान में फंस गए. पानी की अनुपलब्धता और कड़ी धूप ने अंततः उनकी जान ले ली. शवों की हालत और आस-पास का वातावरण यह संकेत देता है कि वे मौत से पहले कई घंटों तक पानी और मदद के लिए भटकते रहे होंगे. 

क्या यह मानवीय त्रासदी है या कोई साजिश?

हालांकि पुलिस का रुझान अब तक इसे प्यास से हुई मौत मान रहा है, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों ने इसे सिर्फ एक “दुर्घटना” मानने से इनकार किया है. भारत-पाकिस्तान सीमा पर इस तरह की अवैध घुसपैठ कई बार मानव तस्करी, जासूसी या कट्टरपंथ से जुड़ी गतिविधियों का हिस्सा भी होती है. ऐसे में पाकिस्तानी सिम कार्ड और आईडी कार्ड मिलना, जांच को एक अलग दिशा में मोड़ रहा है. दोनों के हिंदू नाम होने के चलते ये भी आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत में घुसे हों.

रिश्ते में थे या साथ यात्रा कर रहे थे?

युवक और युवती के बीच क्या रिश्ता था? क्या वे प्रेमी थे, परिवार से भागे थे या किसी नेटवर्क के हिस्से के रूप में सीमा पार कर रहे थे? इन सवालों के जवाब अब शवों की पहचान और उनके मोबाइल/आईडी रिकॉर्ड से ही मिल सकते हैं. पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या उनके पीछे कोई मानव तस्करी रैकेट तो नहीं था, जो उन्हें भारत लाया. 

बीएसएफ और खुफिया एजेंसियों की कड़ी जांच

बीएसएफ, लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (LIU) और जैसलमेर पुलिस इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रही हैं। दोनों शवों की डिजिटल पहचान, सिम की एक्टिविटी और आईडी कार्ड की वैधता की गहन जांच की जा रही है. साथ ही उन रास्तों की निगरानी बढ़ा दी गई है जहां से ये दोनों भारत में दाखिल हुए होंगे. आसपास के ग्रामीणों से पूछताछ कर यह भी जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या किसी ने उन्हें ज़िंदा देखा था.

रेगिस्तान की सीमा पर रहस्य, अफसोस और अलर्ट

यह घटना सीमा पार मानवीय त्रासदी का चेहरा भी हो सकती है और किसी गहरी साजिश का सिरा भी. दोनों में से जो भी सच हो, उसने यह तो साबित कर ही दिया है कि भारत-पाकिस्तान सीमा अब सिर्फ कंटीले तारों का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक, सुरक्षा और मानवीय जटिलताओं का अखाड़ा बन चुकी है. जैसलमेर की रेत फिलहाल दो अनजान ज़िंदगियों का बोझ अपने सीने में दबाए बैठी है, जिनका अतीत अब सिर्फ सवालों में ज़िंदा है.

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