
Israel Iran War Latest News: इजरायल की ओर से ईरान पर हमले का आज पांचवां दिन है. बहुत कम समय में ईरान-इजरायल के बीच युद्ध से भयावह परिणाम के संकेत मिलने लगे हैं. ऐसा होना भी स्वाभाविक है. शुक्रवार (13 जून) को इजरायल की ओर से ईरान पर विनाशकारी हमले के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरानियों को सीधे संबोधित करते हुए साफ शब्दों में कहा था कि अब समय आ गया है कि आप लोग ‘दुष्ट और दमनकारी शासन’ के खिलाफ खड़े हो जाएं. हालांकि, मध्य पूर्व के कई राष्ट्रों ने इजरायली पीएम के इस फैसले की तल्ख टिप्पणी में निंदा की है.
पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान पर हमले के बाद वहां के लोगों से कहा था, “इजरायल के सैन्य अभियान आपकी स्वतंत्रता का रास्ता साफ कर रहे हैं. इजरायली पीएम के इस बयान के चार दिन ईरान और इजरायल के बीच सैन्य टकराव न केवल तेज हो गया है, बल्कि लोग यह पूछ रहे हैं कि इजरायली हमले का असली मकसद क्या है?”
क्या है इजरायल की मंशा?
बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में इजरायली हमले को लेकर कई सवाल उठाए हैं. बीबीसी के सवालों से साफ है कि इस हमले के पीछे असली खेल कोई और खेल रहा है. आगामी महीनों तक इस विवाद की वजह से दूरगामी परिणाम भी सामने आ सकते हैं. दुनिया की सबसे बड़ी मीडिया एजेंसी ने इस हमले के मकसद को लेकर पूछा है, “क्या इस्लामिक शासन और ईरान के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल की समाप्ति है?” क्या इसका उद्देश्य अमेरिका और ईरान के बीच इस मसले पर जारी वार्ता को समाप्त करना है या फिर बेंजामिन नेतन्याहू का बयान कि यह हमला ईरानियों को मौलवी शासन से स्वतंत्रता दिलाना का प्रयास है, वही सही है.
दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा ईरान- बेंजामिन नेतन्याहू
यहां पर इस बात का भी जिक्र कर दें कि ईरान पर हमले शुरू करने से पहले प्रधानमंत्री नेतन्याहू दुनिया को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान के खतरों को लेकर कई बार आगाह कर चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र में दिखाए गए बम के कार्टून से लेकर पिछले 20 महीनों के दौरान उनके द्वारा बार-बार यह दोहराया गया है कि ईरान दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा है.
पश्चिमी सहयोगियों ने बेंजामिन नेतन्याहू की घोषणा को दोहराया है कि तेहरान को परमाणु मसले पर लक्ष्मण रेखा पार करने की इजाजत नहीं दी जा सकती. इस बयान के मायने बहुत व्यापक हैं. हालांकि, इसके उलट मार्च 2025 में यूएस नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक तुलसी गबार्ड ने कहा था कि यूएस इंटेलिजेंस समुदाय के आकलन के मुताबिक ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है.”
इजरायली मंशा को लेकर किसने क्या कहा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है, “उन्होंने इजरायल को हमले के लिए हरी झंडी नहीं दी, लेकिन ऐसा लगता है कि कम से कम एक एम्बर लाइट की जरूरत थी.”
एक पश्चिमी अधिकारी ने नेतन्याहू की योजनाओं का खुलासा करते हुए कहा, “अब वह (अमेरिका) इसमें शामिल हो गया हैं. वह पूरी तरह से इसमें शामिल हैं. हमले के पीछे इजरायल का मुख्य लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पंगु बनाना था.”
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी के मुताबिक, “मैंने बार-बार कहा है कि परिस्थितियों की परवाह किए बिना परमाणु सुविधाओं पर कभी भी हमला नहीं किया जाना चाहिए. ऐसा करना अंतरराष्ट्रीय कानून के लिहाज से भी अवैध हैं.”
चैथम हाउस थिंक टैंक में मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका कार्यक्रम की निदेशक डॉ. सनम वकील के अनुसार, नेतन्याहू ने व्यक्तिगत रूप से शासन परिवर्तन (इस्लामी शासन की समाप्ति) के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सब कुछ दांव पर लगा दिया है. सभी जानते हैं कि इजरायल की राजनीतिक और सैन्य संगठन ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
डॉ. सनम वकील आगे कहती हैं, “इजरायल का बाद वाला लक्ष्य मुश्किल है, लेकिन कुछ हद तक हासिल किया जा सकता है. पहले वाला एक छोटे और कम समय के संघर्ष में पूरा करना कठिन है.”
कोलंबिया यूनिवर्सिटी सेंटर ऑन ग्लोबल एनर्जी पॉलिसी में ईरान विशेषज्ञ और पूर्व अमेरिकी अधिकारी रिचर्ड नेफ्यू के मुताबिक, “मुझे लगता है कि नेतन्याहू ट्रंप को फोन करेंगे और कहेंगे ‘मैंने यह सब काम कर लिया है, मैंने सुनिश्चित किया है कि बी-2 बमवर्षकों और अमेरिकी सेना को कोई खतरा न हो, लेकिन मैं परमाणु हथियार कार्यक्रम को समाप्त नहीं कर सकता.”
एक पश्चिमी अधिकारी ने मुझे बताया, “यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि राष्ट्रपति ट्रंप किस तरफ जाएंगे।”
IAEA की रिपोर्ट में क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ( IAEA ) ने अपनी नवीनतम तिमाही रिपोर्ट में कहा कि ईरान ने 60 प्रतिशत शुद्धता तक समृद्ध यूरेनियम जमा कर लिया है, जिससे नौ परमाणु बम बनाना संभव है. IAEA ने ईरान के महत्वाकांक्षी सुरक्षा परियोजना नतांज, इस्फहान और फोर्डो के निर्माण पर भी सवाल उठाए हैं. IAEA की मानें तो इजरायली हमले में इस्फहान में चार ‘महत्वपूर्ण इमारतें’ क्षतिग्रस्त हुई हैं. इससे ईरान की सुविधाओं को हुए नुकसान पश्चिमी देशों के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं. इजराइल अब तक ईरान के कम से कम नौ परमाणु वैज्ञानिकों और शीर्ष सैन्य कमांडरों की हत्या कर चुका है.
क्या ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकना संभव है?
इजरायल और पश्चिमी देशों की मंशा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को समाप्त करने की है, लेकिन इसके लिए इजराल को ईरान के दूसरे सबसे बड़े और सबसे अधिक संरक्षित स्थल फोर्डों को नुकसान पहुंचाना होगा. यह परिसर एक पहाड़ के भूतल में बना है. बताया जा रहा है कि ईरान ने अपने हथियार-ग्रेड यूरेनियम के अधिकांश हिस्सों का भंडारण यहीं पर कर रखा है.
इजरायली मीडिया में रिपोर्ट के अनुसार उसके पास बंकर-बस्टिंग बम नहीं हैं, जिसकी उसे इतनी सारी चट्टानों को तोड़ने के लिए जरूरत होगी, लेकिन अमेरिकी वायु सेना के पास हैं. अमेरिका को भी फोर्डों को प्रभावी क्षति पहुंचाने के लिए कई दिनों तक कई हमले करने पड़ेंगे.
अमेरिका के दखल से ही निकलेगा समस्या का समाधान
वैश्विक जानकारों की मानें तो इजरायल और ईरान के बीच तनाव और बढ़ता है तो यह खतरनाक और अप्रत्याशित टकराव की ओर बढ़ सकता है. ऐसे में अमेरिका का दखल निर्णायक साबित होगा. अमेरिकी मध्य पूर्व परियोजना के अध्यक्ष और पूर्व इजरायली सरकार के सलाहकार डैनियल लेवी का आकलन है, “सफलता या विफलता इस बात से परिभाषित होती है कि क्या अमेरिका को इस खेल में शामिल होता है या नहीं. ऐसा इसलिए कि केवल अमेरिका ही इस समस्या का समाधान निकाल सकता है.”