नवजात बच्चों की दिन-रात की नींद: जानें क्यों सोते हैं दिन में और रात में होते हैं परेशान

नवजात शिशु से लेकर 12 महीने तक के बच्चों के लिए 12 से 16 घंटे की नींद आवश्यक होती है। हालांकि, जैसे-जैसे बच्चा एक से दो साल का होता है, उसका स्लीपिंग पैटर्न बदलने लगता है और उसकी नींद की आवश्यकता में भी बदलाव आता है। नए माता-पिता अक्सर यह शिकायत करते हैं कि बच्चे के जन्म के बाद उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती। दिन में उनका बच्चा सोता रहता है, लेकिन रात के समय वह परेशान करना शुरू कर देता है। कभी बच्चे को भूख लगती है, तो उसे दूध पिलाना पड़ता है, और कभी उसकी डायपर बदलने की जरूरत होती है। इस प्रकार, नए माता-पिता को रातभर जागना पड़ता है।

यदि आपके साथ भी ऐसा है, तो क्या आपने कभी इसके कारणों को समझने की कोशिश की है? जब बच्चा पैदा होता है, तो वह दिन में ज्यादा क्यों सोता है और रात में क्यों जागता है? आज हम आपको इसका जवाब देंगे।

मां के पेट से संबंध

नवजात बच्चे की नींद का संबंध सीधे मां के पेट से होता है। जब बच्चा मां के पेट में होता है, तो वह अधिकांश समय सोता रहता है। डिलीवरी के बाद, जब बच्चा बाहर आता है, तो कुछ महीनों तक उसका स्लीपिंग पैटर्न स्थिर नहीं होता। इस कारण उसे दिन और रात का अंतर समझने में समय लगता है। हालांकि, समय के साथ बच्चा बड़ा होता है और एक नियमित स्लीपिंग पैटर्न अपनाने लगता है। यही कारण है कि नवजात बच्चा दिन में ज्यादा सोता है और रात में जागता रहता है।

नींद का विकास में महत्व

नवजात बच्चे के लिए नींद बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह उसके शारीरिक और मानसिक विकास में सहायक होती है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के अनुसार, नवजात शिशु से लेकर 12 महीने तक के बच्चों के लिए 12 से 16 घंटे की नींद जरूरी होती है। नींद के दौरान बच्चे का तंत्रिका तंत्र विकसित होता है। हालांकि, जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसका स्लीपिंग पैटर्न बदलता है और एक से दो साल की उम्र में उसे दिन में 11 से 14 घंटे की नींद की जरूरत होती है।

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