
नई दिल्ली : भारतीय रक्षा बलों की आधुनिक क्षमता बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने बड़े पैमाने पर रणनीतिक खरीद और अपग्रेड के प्रस्तावों को मंजूरी दी है। रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने करीब 79 हजार करोड़ रुपये के रक्षा प्रस्तावों को हरी झंडी दी है। यह फैसला भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना की युद्ध क्षमता और रणनीतिक ताकत को सुदृढ़ करने के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
प्रमुख मंजूर की गई परियोजनाएँ:
टी-90 टैंकों का स्वदेशी ओवरहॉल: सेना की बख्तरबंद शक्ति को मजबूत करने के लिए मौजूदा टी-90 टैंकों का पूर्ण ओवरहाल किया जाएगा।
Mi-17 हेलीकॉप्टर अपग्रेड: हेलीकॉप्टरों के इलेक्ट्रॉनिक्स और हथियार प्रणाली को आधुनिक तकनीक से अपग्रेड किया जाएगा।
लोइटरिंग मिशन: वायुसेना के निगरानी और टोही संचालन को सक्षम बनाने के लिए लोइटरिंग मिशन शामिल हैं।
MRSAM मिसाइलें: स्वदेशी विकसित मध्यम दूरी की सतह से हवा मार करने वाली मिसाइलें, जो सीमाओं की सुरक्षा को और सुदृढ़ करेंगी।
Astra मार्क-2 मिसाइलें: भारत की अग्रिम वायु शक्ति के लिए विकसित नई पीढ़ी की हवा से हवा मार करने वाली मिसाइलें।
पिनाका रॉकेट प्रणाली का विकास: बहु-बारतीय स्वदेशी रॉकेट प्रणाली को और सुदृढ़ किया जाएगा।
अमेरिकी MQ-9B ड्रोन लीज: अमेरिका से दो MQ-9B हाई-टेक ड्रोन की लीज ली जाएगी, जो निगरानी और खुफिया जानकारी के लिए अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं।
प्रभाव और महत्व:
डिफेंस विशेषज्ञों के अनुसार, यह निर्णय भारतीय सशस्त्र बलों की रणनीतिक और आधुनिक युद्ध क्षमता को अगले स्तर तक ले जाएगा। पुराने हथियारों और टैंक का स्वदेशी अपग्रेड और नए हथियारों की खरीद से सीमा सुरक्षा और अंतरिक्ष, वायु एवं जमीन पर समन्वित युद्ध क्षमता में वृद्धि होगी।
इसके अलावा, स्वदेशी हथियार विकास परियोजनाओं को भी इस फैसले में शामिल किया गया है, जिससे भारतीय रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को भी बल मिलेगा।
DAC की इस मंजूरी के साथ ही सेना, वायुसेना और नौसेना को आने वाले वर्षों में अत्याधुनिक हथियार, मिसाइल और ड्रोन की सुविधा उपलब्ध होगी, जो देश की सुरक्षा और रणनीतिक ताकत को और मजबूत करेगी।















