
शिमला : हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक में हुए 11.55 करोड़ रुपये के साइबर घोटाले में जांच लगातार तेज होती जा रही है। साइबर ठगों द्वारा बैंक सर्वर हैक कर करोड़ों की राशि विभिन्न खातों में ट्रांसफर करने का मामला सामने आया है। अब तक की जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि इस हाई-प्रोफाइल साइबर क्राइम को अंजाम देने के लिए म्यूल अकाउंट्स का इस्तेमाल किया गया था।
मुंबई, दिल्ली, राजस्थान और यूपी में छापे, दो आरोपी न्यायिक हिरासत में
डीआईजी (साइबर विभाग) मोहित चावला ने जानकारी दी कि मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर पुलिस की टीमें दिल्ली, मुंबई, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लगातार दबिश दे रही हैं। इसी सिलसिले में चार संदिग्धों को पूछताछ के लिए शिमला लाया गया, जिनमें से दो को कोर्ट में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। बाकी दो लोगों को जांच में सहयोग करने और खातों में कम ट्रांजेक्शन होने के आधार पर नोटिस देकर छोड़ दिया गया है।
म्यूल अकाउंट्स की पहचान में जुटी है पुलिस
डीआईजी चावला के अनुसार, साइबर अपराधियों ने इस ठगी को अंजाम देने के लिए म्यूल अकाउंट्स का सहारा लिया, जिनके जरिए रकम को कई खातों में बाँटा गया। पुलिस अब इन खातों की ट्रांजेक्शन हिस्ट्री खंगाल रही है ताकि मुख्य आरोपियों तक पहुंचा जा सके।
ठगी की पूरी साजिश ऐसे रची गई
यह मामला 11 और 12 मई का है जब साइबर अपराधियों ने चंबा जिले के हटली शाखा के एक बैंक ग्राहक के मोबाइल को हैक किया। इसके जरिए बैंक के सर्वर तक पहुंच बनाकर 11.55 करोड़ रुपये की रकम निकाल ली गई। शुरुआती जांच में पता चला कि पूरी राशि पहले एक ही खाते में डाली गई, फिर वहां से उसे लगभग 20 अलग-अलग खातों में ट्रांसफर किया गया।
इस संबंध में शिमला के थाना सदर में जीरो एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसे बाद में साइबर थाना शिमला को ट्रांसफर कर दिया गया।
CERT-IN भी जांच में जुटा
मामले की गंभीरता को देखते हुए भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-IN) की एक विशेषज्ञ टीम भी इस साइबर हमले की तह तक जाने के लिए जांच में जुट गई है। माना जा रहा है कि यह एक अंतरराज्यीय साइबर गिरोह की करतूत हो सकती है।
साइबर सुरक्षा पर फिर उठे सवाल
इस घटना ने बैंकिंग सिस्टम की साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि बैंक सर्वर जैसे सुरक्षित माने जाने वाले सिस्टम हैक हो सकते हैं, तो आम लोगों के लिए खतरा और बढ़ जाता है।