बढे तापमान से दलहन की फसल पर संकट, ’लीफ कटर का प्रकोप’

-मूंग, उडद की फसल को पहुंच रहा बडा नुकसान

-किसानों की बढी चिंता, कर रहे दवा का छिडकाव

मथुरा। अप्रैल का महीना मई जून सा तप रहा है। दिन रात का औसत से चार से पांच डिग्री सेल्सिय तापमान अधिक चल रहा है। मथुरा में 20 अप्रैल को अधिकतम तापमान 44 तथा न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया है। इस दौरान अधिकत तापमान 38 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है। आम जनजीवन प्रभावित है। किसानों की दुश्वारियां भी बढे हुए तापमान ने बढाई है। दलहन की फसल को बचाने के लिए किसान जूझ रहे हैं। किसानों ने इस बार बडे रकवे में दलहन की खेती की है। लीफ कटर नामक बीमारी ने शुरूआत में ही किसानों को झटका दे दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बढे हुए तापमान से फसल में दो फर्क आ सकते हैं। पहला दलहन की फसल में वृद्धि प्रभावित होती है। खास कर जिन किसानों ने मंग और उडद लगाई है, बढे तापमान से उसमें बढवार कम हुई है। दूसरा कई क्षेत्रों में यह भी देखने में आया है कि रोंएदार गिडार जिसे लीफ कटर कहते हैं उसने कुछ जल्दी हमला किया है। हालांकि दवाई का छिडकाव कर किसान ने कुछ हद तक इस पर नियंत्रण पाया है। इसके बाद भी कुछ क्षेत्रों में बडे स्तर पर नुकसान हुआ है। खीरा और ककडी पर बढे तापमान का काफी खराब असर पडता है। कीट का प्रकोप इन फसलों पर ज्यादा होता है। फूल झडने की समस्या भी होती है जिससे उत्पादन प्रभावित होता है। पिछले आठ दस साल में इस तरह से तापमान मार्च के आखिर और अप्रैल में इस बढते हुए नहीं देखा गया है। पिछले सालों में ऐसा तो हुए है कि तामपान में वृद्धि हुई लेकिन फिर उसमें गिरावट हो गई। इस बार तापमान बढ कर टिक गया है।

कृषि रक्षा इकाई से किसान करें संपर्क
लीफ कटर के लिए कई तरह के कीटनाशों को उपयोग किया जाता है। कीटनाशक अलग अलग ट्रेड के नाम से आते हैं। बेहतर है कि किसान कृषि रक्षा इकाई पर संपर्क कर लें, विशेषज्ञों से संपर्क करने से किसानों को लाभ अधिक मिलेगा। निकटवर्ती ब्लाॅक पर कृषि रक्षा इकाई पर किसान संपर्क कर सकते हैं।

वर्जन
शुरू में ही किसानों कीटनाशकों का उपयोग कर फसल को बचा लिया है। इस लिए कोई भारी नुकसान नहीं है। अभी चार पांच पत्ती का पोधा है। हर रोज दो पत्ती निकलती हैं। कीटनाशक छिडकाव के दो तीन दिन बाद फिर पत्ती आ जाएंगी। अगर दो या तीन पत्ती की फसल पर प्रकोप होता है तो ज्यादा नुकसान हो सकता है। दिक्कत तब होती है जब 100 प्रतिशत पौधा कीट खा जाता है।

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