
चंडीगढ़। पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में अब कबूतरबाजी जैसे अमानवीय खेलों पर नकेल कस दी गई है। पशु अधिकार संगठन पीईटीए इंडिया (PETA India) और पंजाब पुलिस के संयुक्त प्रयासों से बीते दो महीनों में 20 जिलों में आयोजित 33 अवैध कबूतर रेस को रोका गया है। इनमें फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना और संगरूर में हाल ही में रुकवाए गए आयोजन प्रमुख हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना
भारतीय पशु कल्याण बोर्ड (AWBI) ने दिसंबर 2020 में स्पष्ट किया था कि सभी प्रकार की पशु रेस प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स (PCA) एक्ट, 1960 के तहत अवैध हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत यह स्पष्ट है कि ऐसे आयोजन कानून का उल्लंघन करते हैं, और इन्हें रोका जाना जरूरी है।
कबूतरों पर होती है क्रूरता
पीईटीए इंडिया के कानूनी सलाहकार मीत अशर ने बताया कि कबूतर भी इंसानों की तरह दर्द और भय का अनुभव करते हैं। कबूतरबाजी में उन्हें गंदे, तंग पिंजरों में कैद किया जाता है, अमानवीय ढंग से ठूंसकर ट्रांसपोर्ट किया जाता है, और कई बार नशीली दवाओं से उड़ाया जाता है। इससे घुटन, चोट और मृत्यु की संभावना तक बन जाती है।
कबूतरों को उड़ाया जाता है नशे में
कुछ आयोजनों में कबूतरों को उड़ाने के लिए अफीम जैसी दवाओं का प्रयोग किया जाता है ताकि वे अधिक देर तक उड़ सकें। ये रेसें अत्यधिक थकावट और मानसिक पीड़ा का कारण बनती हैं। मीत अशर ने एक भयावह घटना का जिक्र करते हुए बताया कि पाकिस्तान के फैसलाबाद में एक व्यक्ति ने हारने पर अपने सभी कबूतरों को जिंदा जला दिया।
जुए और सट्टेबाजी का अड्डा बनी कबूतरबाजी
कबूतर रेस में अक्सर सट्टेबाजी होती है, जो पब्लिक गैंबलिंग एक्ट, 1867 के तहत दंडनीय अपराध है। यह सिर्फ एक खेल नहीं बल्कि अवैध गतिविधियों का मंच बन गया है।
पुलिस और प्रशासन सतर्क
पंजाब और हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अब लगातार ऐसे आयोजनों पर नजर बनाए हुए हैं। पीईटीए के प्रयासों और स्थानीय पुलिस के सहयोग से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कानून का सख्ती से पालन हो और पशुओं के साथ अमानवीय व्यवहार पर रोक लगे।