जयसिंहपुर-सुलतानपुर। सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश की व्यवस्थाओ को लेकर भले ही लाख दावे किए जा रहे हों लेकिन गौशालाओं में गोवंशों की स्थिति खराब है। जयसिंहपुर तहसील क्षेत्र के पीढ़ी मेंहदियां गांव में स्थित गौशाला में गोवंश भूख से दम तोड़ने को मजबूर हो गए है। कड़ाके की पड़ रही ठंड में गोवंशों का हाल बेहाल हो गया है। कही सर्दी और भूख इनकी मौत का कारण न बन जाए।
विदित हो कि जयसिंहपुर तहसील क्षेत्र के पीढ़ी मेंहदिया गांव में एक गौशाला बनाई गई है। जिसकी क्षमता 184 गोवंशो की है। सरकार द्वारा गौशालाओ पर लाखो रुपए खर्च कर गोवंशो को अच्छी व्यवस्था देने की बात कही गई। लेकिन मेंहदिया गांव में बने इस गौशाला का हाल बेहाल हो गया है। जहां कड़ाके की पड़ रही इस ठंड में सभी घरों में सिकुड़े हुए है वही ये बेजुबान गोवंश खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए है। इतना ही नही इन बेजुबानों गोवंशों के लिए पर्याप्त चारे का इंतजाम तक नही है। यही वजह है कि गौशाला में कैद गोवंश के शरीर से हड्डियां झांकने लगी है। गोवंशो को चारे के नाम पर महज कुछ सुखा भूसा व पुआल दिया जा रहा है। चुनी, पशु आहार व हरा चारा आदि सब दूर की बात है। गौशाला में कुछ गोवंशो को सिर ढकने और ठंड हवा रोकने के लिए टीनशेड लगा है। किन्तु बाहर पशुशाला के ग्राउण्ड में सैकड़ों गोवंश खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। उनके लिये कोई उचित व्यवस्था तक नही है। ठंड से बेहाल इन गोवंशो का हाल बेहाल हो गया हैं। शरीर से कमजोर गोवंश शीतलहर से खुद को नहीं बचा पा रहे है। जानकारी के मुताबिक मेहंदिया गौशाला की क्षमता 184 गोवंश की हैं। लेकिन गौशाला में क्षमता से अधिक गोवंश यहाँ लाकर छोड़ दिये गये। चारा मात्र जीने भर के लिये किसी तरह उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं गौशाला में काम कर रहे एक श्रमिक ने बताया कि क्षमता से अधिक गोवंशों के आ जाने से काफी समस्या हो रही। वही कुछ पशुओं में खुरपका बीमारी से ग्रसित होने की वजह से पशुओं के पैरों में कीड़े भी देखे गए। इसका कारण भी पशुशाला में ज्यादा नमी और कीचड़ है। चिकित्सक भी बस नाम के है जो आकर अपनी फार्मेलिटी निभा कर चले जाते हैं।
जानिए क्या बोले उप जिलाधिकारी
इस संबंध में जब उप जिलाधिकारी जयसिंहपुर अरविन्द कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि वैसे तो इस जिले में यह गौशाला सबसे अच्छी है अगर ऐसी बात है तो इसकी जांच करवाते हैँ।