
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों को अब स्कूल शुरू होने के एक घंटे के भीतर ऑनलाइन हाजिरी लगानी अनिवार्य होगी। सभी की उपस्थिति प्रधानाध्यापक दर्ज करेंगे। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद गठित कमेटी ने शिक्षकों को लेकर यह फैसला दिया है। गठित समिति की रिपोर्ट के आधार पर शासन ने ऑनलाइन डिजिटल उपस्थिति प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, नेटवर्क समस्या पर ऑफलाइन हाजिरी का विकल्प भी मिलेगा और बिना शिक्षक का पक्ष सुने कोई कार्रवाई नहीं होगी। आनलाइन हाजिरी दर्ज करने की जिम्मेदारी अब सीधे स्कूल के प्रधानाध्यापक की होगी।
शासन की ओर से जारी किए गए आदेश मे कहा गया है कि अगर किसी स्कूल में इंटरनेट नेटवर्क की दिक्कत होती है, तो वहां ऑफलाइन अटेंडेंस दर्ज करने की अनुमति दी जाएगी. साथ ही जैसे ही नेटवर्क ठीक होगा, वही डाटा ऑनलाइन सिस्टम में अपलोड कर दिया जाएगा। इससे दूर-दराज के इलाकों में काम कर रहे शिक्षकों को राहत मिलेगी। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी शिक्षक के खिलाफ पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाएगा। इसके बाद उसके जवाब की समीक्षा होगी और तभी आगे की प्रशासनिक या विभागीय कार्रवाई की जाएगी. इसका उद्देश्य यह है कि किसी निर्दोष शिक्षक के साथ अन्याय न हो। इस नई ऑनलाइन अटेंडेस व्यवस्था का असर प्रदेश के करीब 1.33 लाख परिषदीय स्कूलों और लगभग 4.50 लाख शिक्षकों पर पड़ेगा। गौरतलब है कि यह पूरी व्यवस्था इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद गठित एक समिति की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने नए और संशोधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा की ओर से जारी किए गए इस शासनादेश पर शिक्षकाें ने तीखी प्रतिक्रिखा व्यक्त की है। उत्तर प्रदेश जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के उन्नाव जनपद के अध्यक्ष अनुपम मिश्र ने कहा कि शासन काे चाहिए कि शिक्षकाें की लंबित मांगाें के समाधान की दिशा की ओर बढ़ना चाहिए













