कफ सिरप पर तमिलनाडु में लगा बैन, राजस्थान में ड्रग कंट्रोलर सस्पेंड; जानिए इस मामले में और क्या-क्या हुआ?

Cough Syrup Case : मध्य प्रदेश और राजस्थान में बच्चों की मौत के बाद तमिलनाडु सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। चेन्नई की एक कंपनी द्वारा निर्मित इस सिरप को बाजार से हटाने के निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली और चेन्नई के औषधि नियंत्रण अधिकारियों ने दवा संयंत्र की जांच की है। वहीं, राजस्थान सरकार ने इस मामले में कठोर कदम उठाते हुए औषधि नियंत्रक को निलंबित कर दिया है और केसन्स फार्मा की सभी दवाओं पर रोक लगा दी है।

बच्चों की मौत और कार्रवाई

राजस्थान में कथित तौर पर डेक्सट्रोमेथॉर्फन युक्त कफ सिरप पीने से तीन बच्चों की मौत होने के बाद, राज्य सरकार ने इस प्रकार की दवाओं की बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। कायसन्स फार्मा कंपनी की सभी 19 दवाओं की आपूर्ति भी अगले आदेश तक बंद कर दी गई है। इस कंपनी के सिरप पर ही विवाद गरमाया हुआ है। राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग ने ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा को दवाओं के मानक तय करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने के आरोप में निलंबित कर दिया है।

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस पूरे मामले की गहन जांच और सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। साथ ही, सरकार ने बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक दवाओं पर चेतावनी छापने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। COPD जैसी बीमारियों के लिए दी जाने वाली दवाओं की खरीद और आपूर्ति पर भी नियंत्रण लगाया जाएगा। फिलहाल, सामान्य परिस्थितियों में कफ के लिए वैकल्पिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाएगा।

नमूनों की जांच और रिपोर्ट

राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पुखराज सेन ने बताया कि, “साल 2012 से कायसन्स फार्मा के 10,119 नमूनों में से 42 घटिया पाए गए हैं। इसलिए, इस कंपनी की सभी दवाओं और आपूर्तिकर्ताओं से डेक्सट्रोमेथॉर्फन की आपूर्ति पर रोक लगा दी गई है।”

बच्चों की मौत और परिवारों के दावे

सरकार ने स्पष्ट किया है कि इन बच्चों को यह सिरप सरकारी अस्पतालों ने नहीं दिया था। हालांकि, मृत बच्चों के परिवारों का दावा है कि उन्हें यह सिरप सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने ही दी थी। एक महिला ने बताया कि उसके बेटे को सरकारी क्लिनिक से ही यह दवाइयां मिली थीं, जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई और जयपुर में उसकी मौत हो गई।

सरकार का कदम और नई गाइडलाइंस

भारतपुर के एक परिवार ने भी दावा किया कि उनके दो वर्षीय बच्चे को सरकारी अस्पताल में यही सिरप दिया गया, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ने से 27 सितंबर को जयपुर में उसकी मौत हो गई। सरकार का कहना है कि मृत बच्चों को यह सिरप नहीं दिया गया था।

विपक्ष की प्रतिक्रिया

सीकर के हाथीदेह में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इस तरह का मामला सामने आया है। डॉक्टर पालक और फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को निलंबित कर दिया गया है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि बच्चों की मौत का जिम्मेदार मां को ठहराना शर्मनाक है। उन्होंने आरोप लगाया कि कायसन्स फार्मा की नकली दवाएं पहले प्रतिबंधित थीं, फिर भी सरकारी अस्पतालों में दी जा रही थीं। साथ ही, केंद्र सरकार ने भी सलाह दी है कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप नहीं देना चाहिए, क्योंकि ज्यादातर मामलों में बच्चे बिना दवा के ही ठीक हो जाते हैं।

नई गाइडलाइंस

राजस्थान सरकार ने इस मामले में नई गाइडलाइंस जारी की हैं, जिनके अनुसार 4 साल से कम उम्र के बच्चों को डेक्सट्रोमेथॉर्फन युक्त सिरप न देने का निर्देश है। साथ ही, फार्मासिस्टों, आशा कार्यकर्ताओं और आम जनता को इस दवा का इस्तेमाल करने में सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है।

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