
लखनऊ । अब तक कोरोना संक्रमण के मामलों से ये बात स्पष्ट हुई है कि जिन लोगों ने शुरुआत से ही दिशा निर्देशों का पालन किया और सामाजिक दूरी बनाये रखी, उन पर कोराना संक्रमण हावी नहीं हो सका। खासतौर से महिलाएं इस मामले में पुरुषों से कहीं ज्यादा सजग रहीं हैं। इसलिए वह पुरुषों के मुकाबले में कहीं कम इस वायरस का शिकार हुई हैं।
महिलाओं में कम होती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने रविवार को कोरोना केस हिस्ट्री का हवाला देते हुए बताया कि राज्य में कुल कोरोना संक्रमण मामलों में जहां 78 प्रतिशत पुरुष हैं, वहीं महिलाओं का प्रतिशत मात्र 22 है। इससे साफ है कि महिलाओं ने अपनी सेहत का ज्यादा ध्यान रखा है। इन आंकड़ों को लेकर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुजाता देव कहती हैं कोरोना मरीजों को लेकर महिलाओं के आंकड़ें राहत देने वाले हैं। आमतौर पर महिलाएं परिवार के हर सदस्य की सेहत का ध्यान रखने में मशगूल रहती हैं। उनकी दिनचर्या का बड़ा हिस्सा परिवार के अन्य सदस्यों के काम पर चला जाता है। ऐसे में वह अपने खाने-पीने पर ध्यान नहीं दे पातीं। वहीं कई युवतियां स्लिम होने की कोशिश में पौष्टिक आहार लेना ही भूल जाती हैं। ऐसे में उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता पुरुषों की तुलना में कम होती है।
दिशा-निर्देशों का अच्छी तरह कर पालन कर रही आधी आबादी
ऐसे में जब कोरोना सभी को अपनी चपेट में ले रहा है। खासतौर से कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग इसके निशाने पर हैं, वहां महिलाओं का कम संक्रमित होना इस बात का प्रमाण है कि उन्होंने लॉकडाउन के निर्देशों का अच्छी तरह पालन किया है। वह हाथ धोने और सामाजिक दूरी बनाये रखने को लेकर संजीदा हैं। जबकि पुरुषों में बाहर निकलने की आदत होने के कारण वह कई बार बेवजह या गैर जरूरी कार्यों के कारण भी सड़कों पर नजर आये। इससे उनमें संक्रमण का खतरा ज्यादा नजर आ रहा है।
घर की चहारदीवारी में भी बरत रहीं सतर्कता
लॉकडाउन के कारण परिवार के बीच समय बिता रहीं रेखा पेशे से शिक्षक हैं। वह कहती हैं कि पहले रोज बाहर निकलना होता था, लेकिन जब से लॉकडाउन हैं, तब से घर की दहलीज नहीं लांघी है। बच्चों और बुजुर्गों को लेकर भी पूरी सावधानी बरत रहे हैं। सब्जी-दूध जैसे सामान लेने के दौरान भी घर में बनाये मास्क पहनते हैं। अगर सुरक्षा से ही बचाव है, तो इसे अपनाने में पीछे क्यों हटना। एक अन्य युवती रेनू के मुताबिक अगर कोरोना से संक्रमित महिलाओं की संख्या कम है, तो ये बेहद अच्छी बात है। महिला परिवार का केन्द्र बिन्दु होती है और उसके स्वस्थ रहने का मतलब है कि पूरा परिवार खुशहाल है। इसलिए सभी को इस बारे में सतर्क रहना चाहिए। वहीं एक अन्य महिला मंजू कहती हैं कि पहले से ही घर में दूध के पैकेट लाने पर उसे अच्छी तरह धोती थी। सब्जियों को भी धोने के बाद ही फ्रिज में रखती थी। अब कोरोना को लेकर तो और सतर्कता बरत रहे हैं।
वहीं मनोचिकित्सक डॉ. अलीम सिद्दीकी के मुताबिक लॉकडाउन में महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा परेशान हो रहे हैं। आमतौर पर घर-परिवार के काम में महिलाओं का पूरा दिन कब निकल जाता है, उन्हें पता नहीं चलता। इस समय भी अधिकांश महिलाएं अपनी दिनचर्या में व्यस्त हैं, जबकि काम ज्यादा ही कर रही हैं। वहीं पुरुष सामान्य तौर पर घरों में रहने के ज्यादा आदी नहीं होते। इस वजह से लॉकडाउन में वह ज्यादा तनावग्रस्त हैं।
स्वास्थ्य महकमे के मुताबिक अभी तक 0-20 आयु वर्ग के 18.5 प्रतिशत, 21-40 आयु वर्ग के 47.3 प्रतिशत, 41-60 आयु वर्ग के 24.7 प्रतिशत और 60 से अधिक उम्र के 9.4 प्रतिशत लोग कोरोना संक्रमित हुये हैं। इससे ये बात भी साफ हुई है कि परिवार में बुजुर्गों का बेहद ध्यान रखा जा रहा है और वह स्वयं भी अपने सेहत को लेकर संजिदा हैं। चिकित्सकों के मुताबिक उम्रदराज लोगों की भी इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण उन्हें बीमारियों का खतरा ज्यादा रहता है। कोरोना संक्रमण के दौरान शुरुआत से ही बुजुर्गों से सावधानी बरतने की अपील की जा रही थी। लोगों को जागरूक किया जा रहा था। आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि इस अपील और जागरूकता का असर हुआ है। इसलिए बुजुर्ग सबसे कम संक्रमित हुये हैं।











