
मीडिया एंड डॉक्यूमेंटेशन मैनेजमेंट फॉर रूरल डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स विषय के प्रशिक्षण में जुटे 31 जिलों के प्रतिभागी
लखनऊ। गांवों के विकास में सरकारी तंत्र को अपने कार्यों में मीडिया को अपना सहयोगी मानकर चलना चाहिए, इससे समय पर सूचनाओं व समाचारों के प्रकाशन से उपयोगी योजनाओं का लाभ संबंधित लोगों तक पहुंच सकेगा। साथ ही, प्रत्येक सरकारी कार्यालय में एक अलमारी मीडिया के संदर्भ में सामग्री संग्रह के लिए आरक्षित अवश्य करना चाहिए। यह बातें स्थानीय बक्शी का तालाब स्थित दीनदयाल उपाध्याय राज्य ग्राम्य विकास संस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन में बतौर मुख्य अतिथि वरिष्ठ पत्रकार हेमेंद्र तोमर ने कहीं।

“मीडिया एंड डॉक्यूमेंटेशन मैनेजमेंट फॉर रूरल डेवलपमेंट प्रोफेशनल्स” विषयक कार्यक्रम में श्री तोमर ने कहा कि भारत गांवों का देश है और गांव के विकास से ही विकसित भारत बनना संभव है लेकिन जब तक मीडिया से सकारात्मक समन्वय नहीं होगा, तब तक इस लक्ष्य की प्राप्ति में कठिनाई व जटिलताएं आएंगी इसलिए मीडिया को साथ लेकर चलने में ही भलाई है और वैसे भी कहावत है कि निंदक नियरे राखिए ताकि इस मीडिया की समालोचना से सरकारी लक्ष्य को और सुगमता से प्राप्त किया जा सके।


उन्होंने कहा कि भारत में ग्रामीण विकास संबंधी किसी भी सरकारी विभाग में कार्य करने के लिए नौकरी मिलना सौभाग्य है क्योंकि जीवन की सार्थकता सिद्ध करने को इससे बड़ा अवसर नहीं हो सकता। कार्यक्रम में अपर निदेशक सुबोध दीक्षित ने प्रतिभागियों को शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए कहा कि सभी को यहां से सैद्धांतिक प्रेरणा लेकर अपने दैनिक जीवन के व्यवहार में उतार लेने से ही प्रशिक्षण की सार्थकता होगी। लोक सेवा आयोग के पूर्व सदस्य कृष्ण वीर सिंह शाक्य ने पेज बेट, पैरा सोशल और जोमो शब्दों से परिचित कराते हुए जीवन में नैतिकता, शुचिता, शुद्धता और पवित्रता की बात दोहराई। उपनिदेशक डॉ नीरजा गुप्ता ने कहा कि प्रतिदिन अखबार पढ़ने की आदत डालनी होगी अन्यथा स्वयं का भी विकास संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मीडिया आपकी ताकत है, प्रतिद्वंदी नहीं। वह दीर्घकालिक गुणवत्ता का प्रतिनिधित्व करता है। उनसे समन्वय बना कर रखिए, वे पारदर्शिता को बढ़ावा दे कर जनता का विश्वास हासिल करते हैं।

वहीं, सहायक निदेशक डॉ राजकिशोर यादव ने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, उससे डरने की आवश्यकता नहीं है। उनका उद्देश्य आमतौर पर कमियों को उजागर करके सुधार लाना होता है, न कि डराना। इस मौके पर संस्थान के वरिष्ठ सलाहकार हेमेंद्र शर्मा ने भी प्रतिभागियों का मार्गदर्शन किया। सूचना विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक डॉ राजेन्द्र यादव ने मीडिया के प्रमुख स्तंभों की व्याख्या की। इस आवासीय प्रशिक्षण आयोजन में एसआईआरडी संस्थान समेत अन्य कुल 31 जिलों से आए हुए लगभग 60 प्रशिक्षणार्थी भी मौजूद रहे।










