वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर की गर्भ गृह की देहरी पर लगी फाइबर सीट हटाने के आदेश मथुरा की सिविल जज जूनियर डिवीजन ने दिए हैं। बांके बिहारी मंदिर के गर्भ गृह की देहरी को दिसंबर में एक भक्त ने स्वर्ण पत्र से मढ़वाया था। देहरी को सुरक्षित करने के नजरिए से इस पर कुछ दिन पूर्व फाइबर की परत चढ़ा दी थी।
दिसंबर में चढ़ा था देहरी पर स्वर्ण पत्र
प्रसिद्ध बांके बिहारी मन्दिर के गर्भगृह पर बनी देहरी पर 17 दिसंबर 2021 को स्वर्ण पत्र लगाया गया था। ठाकुर बांके बिहारी जी के एक भक्त द्वारा मन्दिर के सेवायत गोस्वामी के माध्यम से गर्भगृह की देहरी पर स्वर्ण पत्र चढ़वाया गया था। जिसका वीडियो भी सेवायत गोस्वामी द्वारा सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया था। हालांकि उस समय न तो सेवायत गोस्वामी और ना ही मन्दिर प्रबंधन ने स्वर्णपत्र की शुद्धता को लेकर कोई आधिकारिक बयान दिया था।
स्वर्ण पत्र की शुद्धता पर खड़े हुए थे सवाल
अभी देहरी पर चढ़वाया गया स्वर्ण पत्र को कुछ समय ही हुआ है। स्वर्णपत्र की शुद्धता को लेकर सवालिया निशान लगने लगा। अन्य सेवायत गोस्वामी जनों द्वारा मुद्दा उठाये जाने पर मन्दिर प्रबंधन ने 8 फरवरी 2022 को देहरी पर फाइबर सीट चढ़वा दी। इसको लेकर मंदिर के पुजारियों ने इस पर सवाल खड़े करते हुए न्यायालय में इसे हटवाने के लिए एक प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया।
कोर्ट ने दिया यह आदेश
मंदिर के गोस्वामी समाज ने फाइबर सीट लगाए जाने पर आपत्ति जताते हुए प्रार्थना पत्र सिविल जज जूनियर डिवीजन की कोर्ट में दाखिल किया। प्रार्थना पत्र में लिखा कि देहरी पूजन इत्यादि धातु या पत्थर की देहरी पर ही होता है। दाखिल प्रार्थना पत्र पर गुरुवार को आदेश दिया कि देहरी पर लगी फाइबर सीट को अविलम्ब हटाया जाए। ताकि परम्परागत धातु की देहरी पर पूजन हो सके। इसके साथ ही कहा कि जहां तक दान की गुणवत्ता की जांच का पत्र एवं नमूना न्यायालय में प्रेषित किया जा चुका है। दान दान दाता और प्रभु के बीच का पवित्र सम्बन्ध है। जिस पर प्रश्न चिन्ह लगाना किसी भी भक्त की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना है।