
- महाकुंभ पर ममता बनर्जी का विवादित बयान
- ममता बनर्जी ने महाकुंभ को बता दिया मृत्युकुंभ
- ममता ने विधानसभा में दिया ये बयान
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में एक विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए। उन्होंने महाकुंभ 2025 को ‘मृत्यु कुंभ’ करार दिया और कहा कि इस धार्मिक आयोजन में व्यवस्थाओं की स्थिति गंभीर है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह महाकुंभ और पवित्र गंगा मां का सम्मान करती हैं।
ममता बनर्जी का विवादित बयान
ममता बनर्जी ने अपने बयान में कहा, “यह मृत्यु कुंभ है। मैं महाकुंभ का सम्मान करती हूं और गंगा मां का भी सम्मान करती हूं, लेकिन इस महाकुंभ के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई गई है। कितने शव बरामद हुए हैं? महाकुंभ में अमीरों और वीआईपी लोगों के लिए एक लाख रुपये तक के शिविर लगाए गए हैं, जबकि गरीबों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है। इस मेले में भगदड़ की स्थिति आम होती है, जो कि बेहद खतरनाक है। इस प्रकार के आयोजनों के लिए सही व्यवस्था होना बेहद जरूरी है। क्या आपने इसके लिए कोई योजना बनाई है?”
ममता के इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है और विपक्षी दलों ने उनके बयान को लेकर प्रतिक्रियाएं दी हैं। हालांकि, ममता ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी को अपमानित करना नहीं था, बल्कि महाकुंभ के आयोजन में सुधार की बात करना था।
राज्यपाल के भाषण पर ममता का पलटवार
ममता बनर्जी ने विधानसभा में राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस के भाषण पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में डबल-इंजन सरकार है, लेकिन पश्चिम बंगाल में ऐसा नहीं है। ममता ने कहा कि उनकी सरकार ने विपक्ष को 50 प्रतिशत समय देने का निर्णय लिया था, जो कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा, कांग्रेस और माकपा एक साथ उनके खिलाफ काम कर रहे हैं और उन्हें अपना भाषण देने का मौका नहीं दिया गया।
ममता ने कहा, “विपक्षी दलों ने मुझे बोलने नहीं दिया, और सदन के पटल पर कागज फेंके। यह लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है।” उनका आरोप था कि भाजपा और माकपा दोनों ही उनके खिलाफ हैं और उन्होंने विपक्ष को पूरी तरह से दबाने का प्रयास किया।
धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर ममता का बयान
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि किसी धर्म के खिलाफ भड़काया जाए या सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश की जाए। ममता ने विशेष रूप से विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी की आलोचना की, जो हिंदू धर्म के बारे में अभद्र टिप्पणियां कर रहे थे।
ममता ने कहा, “आप एक धर्म को बेच रहे हैं। मैंने कुछ वीडियो देखे हैं, जिनमें शुभेंदु अधिकारी हिंदू धर्म के बारे में बात कर रहे हैं। इस कारण उन्हें सदन से निलंबित किया गया था। मैं कभी भी धार्मिक मामलों को भड़काने की बात नहीं करती हूं।” उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार हमेशा धार्मिक सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रकार की बयानबाजी से उनका कोई संबंध नहीं है।











