
झांसी। वेतन कटौती से नाराज झांसी के स्वास्थ्य विभाग के दर्जनों संविदा कर्मी रविवार को गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत के आवास पहुंचे। उन्होंने अपनी वेतन कटौती की शिकायत रखते हुए कहा कि हर साल बजट आने पर उनके वेतन में 5 प्रतिशत की वृद्धि होती थी, लेकिन वित्तीय वर्ष 2024-25 में अचानक 15 से 17 प्रतिशत की कटौती कर दी गई। इस कटौती से वे आर्थिक संकट में आ गए हैं। अधिकारियों से पूछने पर उन्हें कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला, जिससे परेशान होकर वे विधायक से मिलने पहुंचे।
संविदा कर्मियों ने वेतन कटौती पर उठाए सवाल –
संविदा कर्मी मीनाक्षी ने बताया कि पिछले दो वर्षों से सभी कर्मचारियों को बढ़ा हुआ वेतन मिल रहा था, लेकिन इस साल बिना किसी पूर्व सूचना के कटौती कर दी गई। “न तो हमें पहले से कुछ बताया गया और न ही कोई स्पष्ट कारण समझाया गया कि वेतन कटौती क्यों की गई,” मीनाक्षी ने कहा।
संविदा कर्मी कृष्ण स्वरूप ने भी इस फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि अचानक 15-17 प्रतिशत की कटौती उनके लिए आर्थिक रूप से कठिनाई पैदा कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बजट शीट में बजट कम आने की बात कही गई है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है। उन्होंने कहा, “जब हमने अधिकारियों से संपर्क किया तो हमें बताया गया कि एक कमेटी बनाई जा रही है और इस मुद्दे को संज्ञान में लिया जाएगा, लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।”
विधायक ने दिए कार्रवाई के निर्देश –
विधायक जवाहर लाल राजपूत ने संविदा कर्मियों की समस्याएं सुनीं और तुरंत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी से फोन पर बात की। उन्होंने निर्देश दिया कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और जल्द से जल्द समाधान निकाला जाए। विधायक ने कहा, “स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों ने शिकायत की है कि उनके वेतन में 15 से 17 प्रतिशत की कटौती हुई है। इस संबंध में मैंने झांसी के संबंधित अधिकारी से फोन पर बात की है। उन्होंने मुझसे मामले को लिखित रूप में भेजने को कहा है, और हम पत्र लिखकर भिजवा रहे हैं। जल्द ही संविदा कर्मियों की समस्याओं का हल निकाला जाएगा।”
संविदा कर्मियों की बढ़ रही परेशानियां –

संविदा कर्मी पहले से ही स्थायी रोजगार की मांग कर रहे हैं, ऐसे में वेतन कटौती ने उनकी चिंताओं को और बढ़ा दिया है। संविदा कर्मचारियों का कहना है कि वे सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उन्हें स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। अब वेतन में कटौती से उनकी आर्थिक स्थिति और खराब हो रही है।
संविदा कर्मियों ने मांग की है कि सरकार उनके वेतन में हुई कटौती को वापस ले और वेतन वृद्धि की प्रक्रिया को पहले की तरह लागू करे। अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे जल्द ही बड़े आंदोलन की रणनीति बना सकते हैं।
अधिकारियों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल –
संविदा कर्मियों की शिकायतों के बावजूद, अब तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस मुद्दे पर एक कमेटी बनाई जा रही है, लेकिन कर्मचारियों का आरोप है कि यह केवल समय टालने का तरीका है।
जल्द होगा समाधान ?
विधायक की पहल के बाद संविदा कर्मियों को उम्मीद है कि जल्द ही वेतन कटौती का समाधान निकलेगा। अब यह देखना होगा कि प्रशासन इस मुद्दे को कितनी जल्दी हल करता है और संविदा कर्मियों को राहत मिलती है या नहीं।