
इंदौर : देशभर में स्वच्छता का सिरमौर और वॉटर प्लस का तमगा हासिल करने वाला इंदौर अपने ही रहवासियों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने में विफल नजर आ रहा है। शहर के भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी के कारण अब तक सात लोगों की मौत हो चुकी है। सभी मृतकों को उल्टी-दस्त की गंभीर शिकायत थी।
चिंताजनक बात यह है कि 26 दिसंबर को उल्टी-दस्त से पहली मौत होने के बावजूद जिम्मेदार विभागों ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया। हालात तब बेकाबू हुए जब सोमवार, 29 दिसंबर को 100 से अधिक लोग उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंचे। स्थिति गंभीर होने पर 34 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
मंगलवार को स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने भागीरथपुरा क्षेत्र में सर्वे किया, जिसमें सामने आया कि अधिकांश घरों में लोग उल्टी-दस्त से पीड़ित हैं। रहवासियों का कहना है कि वे कई दिनों से दूषित पानी की शिकायत कर रहे थे, लेकिन उनकी बातों को अनदेखा किया गया।
इसी दिन नगर निगम की टीम ने जल वितरण लाइनों की जांच की। जांच में खुलासा हुआ कि जिस मुख्य पाइपलाइन से पूरे क्षेत्र में पानी की आपूर्ति होती है, उसके ऊपर ही सार्वजनिक शौचालय बना हुआ है। लाइन फूटने से ड्रेनेज का गंदा पानी सीधे पेयजल में मिलकर लोगों के घरों तक पहुंच रहा था। इसके अलावा भी कई स्थानों पर पानी की लाइनों में टूट-फूट पाई गई।
फिलहाल एहतियातन पूरे भागीरथपुरा क्षेत्र में नर्मदा जल की आपूर्ति बंद कर दी गई है और टैंकरों के माध्यम से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है।
दूषित पानी से जान गंवाने वाले लोग
- गोमती रावत (50) – 26 दिसंबर – निजी अस्पताल
- उर्मिला यादव (69) – 27 दिसंबर – क्लॉथ मार्केट
- सीमा प्रजापत (35) – 29 दिसंबर – भागीरथपुरा (घर)
- उमा पप्पू कोरी (31) – 30 दिसंबर – अरबिंदो अस्पताल
- नंदलाल पाल (75) – 30 दिसंबर – वर्मा नर्सिंग होम
- मंजुला दिगंबर (70) – 30 दिसंबर – एमवाय अस्पताल
- तारा रानी (70) – 30 दिसंबर – घर पर















