कांग्रेस : अडानी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए LIC की बचत का किया गया दुरुपयोग, जेपीसी करे जांच

  • जयराम रमेश का आरोप : एलआईसी द्वारा ‘अडानी समूह पर भरोसा दिखाने’ के नाम पर 33,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन का जबरन दुरुपयोग

New Delhi : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पर कहा है कि मीडिया में हाल ही में कुछ परेशान करने वाले खुलासे सामने आए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘मोदानी जॉइंट वेंचर’ ने एलआईसी और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का व्यवस्थित तौर पर दुरुपयोग किया।

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर गंभीर आरोप लगाए। पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार ने जनता की गाढ़ी कमाई को अपने ‘परम मित्र’ अडानी को बचाने के लिए दांव पर लगा दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में सामने आए घूसखोरी के मामले के बाद जब विदेशी बैंकों ने अडानी को कर्ज देने से इनकार कर दिया, तो सरकार ने एलआईसी पर दबाव डालकर 34,000 करोड़ रुपए का निवेश करवाया गया।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया एक्स पर बयान जारी कर कहा कि ‘मोदानी महाघोटाले’ में नवीनतम खुलासा हुआ है। उन्होंने कहा कि एलआईसी द्वारा ‘अडानी समूह पर भरोसा दिखाने’ के नाम पर 33,000 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन का जबरन दुरुपयोग किया गया है।
रमेश ने यह भी कहा कि संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को इसकी जांच करनी चाहिए क्योंकि यह विषय उसके अधिकार क्षेत्र में आता है। रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, मीडिया में हाल ही में कुछ परेशान करने वाले खुलासे सामने आए हैं कि किस तरह ‘मोदानी जॉइंट वेंचर’ ने एलआईसी और उसके 30 करोड़ पॉलिसी धारकों की बचत का व्यवस्थित तौर पर दुरुपयोग किया।

उन्होंने कहा, आंतरिक दस्तावेज़ बताते हैं कि भारतीय अधिकारियों ने मई, 2025 में एक ऐसा प्रस्ताव तैयार किया और उसे आगे बढ़ाया, जिसके तहत एलआईसी की लगभग 34,000 करोड़ रुपये की धनराशि को अडाणी समूह की विभिन्न कंपनियों में निवेश किया गया।
उन्होंने दावा किया कि रिपोर्ट के अनुसार, इसका उद्देश्य “अडानी समूह में विश्वास का संकेत देना” और “अन्य निवेशकों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना” था।

जयराम रमेश का कहना है, सवाल उठता है कि वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के अधिकारियों ने किसके दबाव में यह तय किया कि उनका काम गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण वित्तीय संकट से जूझ रही एक निजी कंपनी को बचाना है? और उन्हें सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध एलआईसी को निवेश करने के निर्देश देने का अधिकार किसने दिया? क्या यह “मोबाइल फ़ोन बैंकिंग जैसा ही मामला नहीं है?
उन्होंने कहा, जब 21 सितंबर, 2024 को गौतम अडानी और उनके सात सहयोगियों पर संयुक्त राज्य अमेरिका में आरोप तय किए गए, तो केवल चार घंटे की ट्रेडिंग में ही एलआईसी को 92 करोड़ अमेरिकी डॉलर (7,850 करोड़ रुपये) का भारी नुकसान हुआ। इससे पता चलता है कि सार्वजनिक धन को चहेते कॉरपोरेट घरानों (क्रोनी कंपनियों) पर लुटाने की कीमत कितनी भारी पड़ती है।

रमेश ने दावा किया, “अडानी पर भारत में महंगे सौर ऊर्जा ठेके हासिल करने के लिए 2,000 करोड़ (25 करोड़ डॉलर) की रिश्वत योजना बनाने का आरोप है। मोदी सरकार लगभग एक साल से प्रधानमंत्री के इस करीबी मित्र को अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग का समन आगे बढ़ाने से इनकार कर रही है।
कांग्रेस नेता ने कहा, ईडी, सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग करके अन्य निजी कंपनियों पर दबाव डाला गया, ताकि वे अपनी संपत्तियां अडानी समूह को बेच दें। हवाई अड्डों और बंदरगाहों जैसे महत्वपूर्ण और अवसंरचना संसाधनों का पक्षपाती निजीकरण किया गया ताकि उसका लाभ केवल अडानी समूह को ही मिले। उन्होंने दावा किया कि राजनयिक संसाधनों का दुरुपयोग करके विभिन्न देशों में, खासकर भारत के पड़ोसी देशों में, अडानी समूह को ठेके दिलवाया गया। रमेश ने आरोप लगाया, अडानी के करीबी सहयोगी नासिर अली शबान अहली और चांग चुंग-लिंग द्वारा शेल कंपनियों के मनी-लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का उपयोग करते हुए ओवर-इनवॉइस (आधिक दाम दिखाकर) करते हुए कोयले का आयात किया गया, जिसके कारण गुजरात में अदाणी पावर स्टेशनों से मिलने वाली बिजली की कीमतों में तेज़ बढ़ोतरी हुई।

उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में असामान्य रूप से ऊंची कीमतों पर चुनाव-पूर्व बिजली आपूर्ति समझौते और चुनावी राज्य बिहार में एक बिजली संयंत्र के लिए हाल ही में एक रुपये प्रति एकड़ की दर से भूमि का आवंटन किया गया।
कांग्रेस महासचिव ने इस बात पर जोर दिया कि इस पूरे “महाघोटाले” की जांच केवल संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) द्वारा ही की जा सकती है। उनका कहना है, पहले कदम के तौर पर, संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) को यह पूरी तरह जांच करनी चाहिए कि एलआईसी को अडानी समूह में निवेश करने के लिए कैसे मजबूर किया गया।

यह जांच पूरी तरह उसके अधिकार क्षेत्र में आती है।
कांग्रेस के इस आरोप पर अब तक केंद्र सरकार या एलआईसी की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, विपक्ष इसे जनता की गाढ़ी कमाई के दुरुपयोग का मामला बता रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीतिक घमासान तेज़ होने के आसार हैं।

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