कांग्रेस : डॉ. उदित राज बोले…आउटसोर्स सेवा निगम का गठन मजदूर विरोधी, तुरंत समाप्त करे सरकार

लखनऊ : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी असंगठित कामगार के प्रकोष्ठ के चेयरमैन, पूर्व सांसद डॉ. उदित राज ने यूपी सरकार के उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन के निर्णय को मजूदर विरोधी करार देते हुए इसे रद करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनी बनाने के बजाय, उत्तर प्रदेश सरकार को चाहिए कि आउटसोर्स सेवा निगम को तुरंत समाप्त करे।

चेतावनी दी गई है कि यदि सरकार मजदूर विरोधी फैसले को वापस लेने और सीधी सरकारी भर्ती की दिशा में आगे बढ़ने में विफल रहती है, तो असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस (केकेसी) इस शोषणकारी नीति को उजागर करने और विरोध करने के लिए उत्तर प्रदेश और देश भर में श्रमिकों को लामबंद करेगी।

कांग्रेस मुख्यालय पर प्रेस वार्ता में डॉ. उदित राज ने कहा कि केंद्र और भाजपा ‘विकसित भारत’ और ‘अमृत काल’ का दावा करते हैं, जबकि जमीनी हकीकत आउटसोर्सिंग का यह प्रतिगामी मॉडल है। कल्याण के बजाय, आप जिम्मेदारी आउटसोर्स कर रहे हैं और श्रमिकों के जीवन की कीमत पर कॉर्पोरेट लाभ सुनिश्चित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी अधिनियम की धारा 8 के अंतर्गत तथाकथित उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन के निर्णय का विरोध कांग्रेस पार्टी करती है । यह कदम संविदा शोषण को वैध बनाने और लाखों श्रमिकों को असुरक्षित, कम वेतन वाली और असुरक्षित परिस्थितियों में धकेलने का एक व्यवस्थित प्रयास है।

प्रेसवार्ता में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के वाइस चेयरमैन मनीष श्रीवास्तव हिंदवी, राजकुमार तिवारी, डॉ. अंशू एन्थोनी, विनोद पवर, आदित्य राजपूत, विजय भारद्धाज मुख्य रूप से शामिल रहे। डॉ उदित राज (पूर्व सांसद), राष्ट्रीय चेयरमैन, असंगठित कामगार और कर्मचारी कांग्रेस (केकेसी) ने कहा कि यह सरकार इतना मजदूर विरोधी है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय धर्म सिंह बनाम उत्तर प्रदेश सरकार (19 अगस्त, 2025) के बावजूद इनके हक पर डाका मार रही है । उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार (2 सितंबर, 2025) को आउटसोर्स सेवा निगम लिमिटेड के गठन को मंजूरी दे दी, जो राज्य में आउटसोर्स कर्मचारियों को तीन साल के लिए 16,000-20,000 रुपये के मासिक मानदेय पर नियुक्त करेगा। सरकार के कुल 93 विभागों में 11 लाख आउटसोर्स्ड कर्मचारी प्रभावित होंगे जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इन्हें 2002 से सारे लाभ के साथ इन्हें नियमित करना था ।

उन्होंने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित करने और उन्हें समान कार्य के लिए समान वेतन प्रदान करने के बजाय, योगी सरकार ने एक ऐसी व्यवस्था बनाई है जो असुरक्षित नौकरियों को वैध बनाती है। स्थायी रोजगार से वंचित करती है, और राज्य को अपने कार्यबल के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त करती है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत का संविधान और श्रम न्यायशास्त्र श्रमिकों की गरिमा की रक्षा करते हैं। बिना किसी कैरियर प्रोन्नति के, वेतन को ₹16,000-₹20,000 तक सीमित करने का निर्णय, सरकारी तंत्र को चलाने वाले श्रमिकों के बलिदान का अपमान है।
सरकार के “पारदर्शिता और कल्याण” का नारा खोखला है। प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण या औपचारिक अनुबंध नौकरी की सुरक्षा, पेंशन, चिकित्सा देखभाल और सामाजिक सुरक्षा का विकल्प नहीं हो सकते। आपका निर्णय प्रभावी रूप से 11 लाख श्रमिकों को बंधुआ निर्भरता की स्थिति में रखता है, बिना ऊपर की गतिशीलता की गुंजाइश के।

उन्होंने पत्रकारों से कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कर्मचारियों के नियमितीकरण से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट में हार गई है। उस फैसले की भावना का पालन करने और स्थायी नियुक्तियों की ओर बढ़ने के बजाय, उ.प्र. सरकार एक आउटसोर्सिंग निगम बनाकर ध्यान भटका रही है। यह श्रमिकों को नियमित सेवा के उनके वैध अधिकार से वंचित करने का एक सीधा प्रयास है। माननीय पीठ ने स्पष्ट रूप से कहा कि… स्थायी, आवर्ती कार्य करने वाले कर्मचारियों को नियमित रोज़गार देने से इनकार करने के लिए वित्तीय बाधाओं का हवाला नहीं दिया जा सकता।

एक संवैधानिक नियोक्ता के रूप में, राज्य को अपने सबसे आवश्यक कर्मचारियों के बोझ तले बजट का बोझ नहीं उठाना चाहिए। न्यायालय ने 24 अप्रैल 2002 से कर्मचारियों को पूर्ण बकाया वेतन के साथ तत्काल नियमित करने, रिक्तियों की कमी होने पर अतिरिक्त पदों का सृजन करने, पेंशन की पुनर्गणना करने और मृत कर्मचारियों के उत्तराधिकारियों को मुआवज़ा देने का आदेश दिया।
स्वीकृत पदों पर कर्मचारियों को सीधे सरकारी पदों पर नियुक्त करने के लिए एक पारदर्शी भर्ती प्रणाली स्थापित करे। मौजूदा आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमितीकरण प्रदान करे।
समान कार्य के लिए समान वेतन, करियर में प्रगति और सामाजिक सुरक्षा की गारंटी दे।
सुप्रीम कोर्ट ने नियमितीकरण का आदेश दिया और सरकार ने जवाब में नया ठेका निगम बनाया। यह ऐसा ही है जैसे लोकतंत्र को स्थायी नौकरी की जगह सरकार ने उन्हें अस्थायी प्रयोगशाला का ढांचा थमा दिया हो।

डॉ. उदित राज ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी जब-जब सत्ता में आयी अनुसूचित जाति जन जातियों के अधिकारों पर कुठाराघात किया। जितना विकास दलितों का कांग्रेस ने किया अगर वही बचा रहता तो अब तक ये और आगे निकल गए होते ।

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