
बिहार विधानसभा चुनाव के बीच इंडिया महागठंधन में तनातनी भी खूब देखने को मिल रही है। पहले राजद और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर नाराजगी चल रही थी। दोनों दलों के बीच मामला सुलझा ही था कि आम आदमी पार्टी ने महागठबंधन से किनारा कर लिया और एकला चलो की रणनीति पर बिहार में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। वहीं, अब बिहार विधानसभा चुनाव में एक और पार्टी की एंट्री हो गई है। ये पार्टी ओवैसी की AIMIM है।
दरअसल, AIMIM प्रमुख असुद्दीन ओवैसी ने बिहार चुनाव के लिए इंडिया महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई थी, लेकिन कांग्रेस ने इनकार कर दिया है। बिहार कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद का साफ कहना है कि ओवैसी की पार्टी सांप्रादयिक है और कांग्रेस AIMIM के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी। जिसके बाद असुद्दीन ओवैसी ने भी बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है।
पहले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और अब ओवैसी की AIMIM बिहार विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारेंगे। बिहार में पहले ही दो बड़े गठबंधन एनडीए और इंडिया अलाइंस एक-दूसरे से बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। अब इस चुनावी लड़ाई में अन्य दलों की मौजूदगी दोनों गठबंधनों के संघर्ष को बड़ा कर सकती है।
गौरतलब है कि AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने राजद प्रमुख लालू यादव को पत्र लिखकर AIMIM पार्टी को महागठबंधन में शामिल करने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा था कि AIMIM बिहार की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रही है और सेक्युलर वोटों को बिखरने से रोकने के लिए पार्टी के साथ गठबंधन करने में लाभ होगा। लेकिन महागठबंधन ने इनकार कर दिया।
महागठबंधन का कहना है कि अगर बिहार में कोई तीसरा मोर्चा बनता है, तो वह सिर्फ बीजेपी की बी टीम के रूप में फायदा पहुंचाने का प्रयास करेगा। इसलिए जनता के बीच यह संदेश जाना जरूरी है कि महागठबंधन किसी भी तरह के साम्प्रदायिक दल से दूर है।
ऐसे में ओवैसी की पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा करते हुए दोनों गठबंधनों को सीधी चुनौती दे डाली है। ओवैसी ने कहा है कि बिहार में अकेले दम पर चुनाव लड़ेंगे और सीमांचल क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करेंगे। साथ ही, उन्होंने ‘बैक डोर NRC’ का आरोप लगाते हुए मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की है।
बता दें कि अगर ओवैसी की पार्टी बिहार की सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी तो जाहिर है कि इसका सीधा प्रभाव एनडीए और इंडिया अलाइंस की सीटों पर पड़ेगा। खासकर, सेक्युलर वोट बँटने का खतरा अधिक रहेगा। दूसरी ओर, ओवैसी के चुनाव लड़ने से भाजपा को अधिक फायदा मिलेगा क्योंकि इंडिया गठबंधने के मतभेदों का लाभ भाजपा उठाएगी। उधर, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पिछले वर्ग और मध्यम वर्ग के वोटों पर नजर डाले हुए है। इससे यह साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार बड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।