डीसीडब्ल्यू में नियुक्तियों में गड़बड़ियों के मामले में पेश नहीं हुईं शिकायतकर्ता बरखा सिंह

New Delhi : दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) में नियुक्तियों में गड़बड़ियों के मामले में शिकायतकर्ता बरखा सिंह बयान दर्ज कराने के लिए राऊज एवेन्यू कोर्ट नहीं पहुंचीं। स्पेशल जज जीतेंद्र सिंह ने मामले की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को करने का आदेश दिया।

शनिवार को सुनवाई के दौरान इस मामले में एक गवाह रोहिताश सिंह का बयान दर्ज किया गया। आरोपितों की ओर से पेश वकीलों ने रोहिताश सिंह का क्रास-एग्जामिनेशन किया। आज इस मामले की शिकायतकर्ता बरखा सिंह का भी बयान दर्ज होना था जिसके लिए कोर्ट ने पहले ही समन जारी कर रखा था। कोर्ट को बताया गया कि बरखा सिंह की तबीयत ठीक नहीं है जिसकी वजह से आज वो अपनी गवाही के लिए कोर्ट में नहीं आ सकीं। दिल्ली पुलिस ने सुनवाई की अगली तिथि को इंस्पेक्टर राहुल और इंस्पेक्टर राकेश कुमार के बयान दर्ज करने के लिए समन जारी करने का आग्रह किया। उसके बाद कोर्ट ने दोनों को 15 अक्टूबर को कोर्ट में आकर बयान दर्ज कराने के लिए समन जारी करने का आदेश दिया।

सुनवाई के दौरान आरोपित स्वाति मालीवाल कोर्ट में पेश नहीं हूईं। स्वाति मालीवाल की ओर से पेश वकील शिवम मल्होत्रा ने कोर्ट से छूट की मांग की जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया। अब तक इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से नौ गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। कोर्ट ने दिसंबर 2022 में स्वाति मालीवाल समेत चार आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। स्वाति मालीवाल ने आरोप तय करने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिसे खारिज कर दिया था।

कोर्ट ने स्वाति मालीवाल के अलावा जिन लोगों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था उनमें आयोग की सदस्य प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक शामिल हैं। कोर्ट ने चारों आरोपितों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120(बी) और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13 (2), 13(1)(डी) के तहत आरोप तय करने का आदेश दिया था।

दरअसल, एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से पूर्व विधायक बरखा सिंह ने 11 अगस्त 2016 को शिकायत कर आरोप लगाया था कि दिल्ली महिला आयोग में नियमों को दरकिनार कर आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगों को नियुक्त किया गया। शिकायत में आयोग में नियुक्त हुए तीन लोगों के नाम बताए गए थे, जो आम आदमी पार्टी से जुड़े थे।

एसीबी को दी गई शिकायत में आम आदमी पार्टी से जुड़े 85 लोगों की सूची भी दी गई थी, जिनकी नियुक्ति आयोग में होने का दावा किया गया था। इस पर प्रारंभिक जांच के बाद एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज की थी।

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